बाप की गोद में ही सड़ गई बेटे की लाश, बलिया के आशीष ने Live दिखाई प्रवासी मजदूरों की पीड़ा
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बलिया। 'बाधक हो तूफ़ान बवंडर नाटक नहीं रुकेगा...' इस पंक्ति को चरितार्थ किया जनपद के वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने। कोरोना संकट से आज हर आदमी जूझ रहा है। लाक डाउन है। घरों से बाहर निकलना मुश्किल है। ऐसे में सामाजिक सरोकार से जुड़े कलाकार हाथ पर हाथ रखकर बैठने की बजाय अपनी कला के प्रदर्शन के लिए कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लेता है।
विगत दो दशक से बलिया के रंगमंच को समृद्ध कर पूरे देश में इसे स्थापित करने वाले जनपद के वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने अपने घर को ही रंगमंच में बदल दिया। दर्शकों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए माध्यम चुना फेसबुक लाइव का। शुक्रवार की देर शाम आशीष त्रिवेदी ने संकल्प के फेसबुक पेज पर लाइव 'सुगना' एकल नाटक का मंचन किया, जिसे हज़ारों लोगों ने देखा और इस अभिनव प्रयोग की सराहना की।
प्रवासी मजदूरों की त्रासदी को आपने शानदार अभिनय से जब आशीष त्रिवेदी ने जीवंत किया तो ना सिर्फ लोगों की आंखें नम हो गयी, बल्कि व्यवस्था के प्रति लोगों के मन में आक्रोश भी भर गया। हजारों किलोमीटर की यात्रा के दौरान मदन के एकलौते बेटा सुगना रास्ते में दम तोड़ देता है। मदन अपने बेटे की लाश वहीं दफन करने की बजाए कहता है कि 'मैं अपने मरे हुए बेटे की लाश मुंबई से बलिया लेकर जाऊंगा, क्योंकि मैं चाहता हूं किस लाश की दुर्गंध इतनी फैल जाए कि लोगों का घर में रहना मुश्किल हो जाए। लोग घरों से बाहर निकले और दुर्गंध फैलाने के जुर्म में या तो मेरी हत्या कर दें या फिर उन्हें खत्म कर दें जिनकी वजह से एक बाप की गोद में उसके बेटे की लाश सड़ गई।'
नाटक का पात्र मदन कहता है इस कि 'इस शहर को हमने अपने हाथों से खूबसूरत बनाया। बड़ी बड़ी इमारतों से लेकर चमचमाती सड़कों में हमारा खून और पसीना है, लेकिन अफसोस कि आज जब हम असहाय होकर यह शहर छोड़कर जा रहे हैं। कोई हमारा हाल पूछने वाला नहीं है। नाटक ने पूरी व्यवस्था पर एक प्रश्न खड़ा कर दिया।
आशीष त्रिवेदी ने बताया कोई भी संवेदनशील कलाकार अपने समय के परिस्थितियों से टकराता है तो उसे अपनी कला के माध्यम से अभिव्यक्त करता है। प्रवासी मजदूरों की त्रासदी एक असहनीय पीड़ा है। इसने हमारे मन मस्तिष्क को बहुत गहरे तक झकझोर कर रख दिया। आज की अभिव्यक्ति इसका परिणाम है। उन्होंने बताया कि यह प्रयोग आगे भी जारी रहेगा। प्रस्तुति को लोगों तक पहुंचाने में सोशल डिस्टेंसिंग और लाक डाउन का पालन करते हुए सोनी, ट्विंकल, आनन्द और अर्जुन ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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