दो-दो विश्व रिकार्ड अपने नाम करने वाली बलिया की बेटी ने बताया कैसे हारेगा कोरोना
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बलिया। शहर की जनता को लॉक डाउन के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से जहां जिला प्रशासन लोगों को जागरूक कर रहा है, वही कलाकार भी अपनी कला के माध्यम से समाज को सार्थक संदेश देने की कोशिश कर रहे है। ऐसे ही एक कला बलिया में सामने आयी है, जिसे नेहा सिंह (Neha Singh) ने उकेरा है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केन्द्र में अध्ययनरत नेहा लॉकडाउन की वजह से घर पर ही है। रसड़ा कोतवाली क्षेत्र के डेहरी गांव की रहने वाली नेहा ने हल्दी, दलचीनी, लौंग, अदरख, मिर्च, धनिया ही नहीं, आल्ता, सिंदूर, लिपस्टिक, क्रम, पाउडर व काजल से जो चित्रण किया है, वह काबिलेतारीफ है।
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नेहा बताती है कि, वैदिक ज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान के समन्वय के बिना कुछ भी संपूर्ण नहीं हो सकता। आज आधुनिक विज्ञान कितना भी आगे चला गया हो, कहीं न कहीं उसका जड़ वैदिक ज्ञान से जुड़ा है। ईशावास्योपनिषद इस बात को और स्पष्ट करती है। इसी सोच विचार पर आधारित एक चित्रांकन वह अपने घर बैठकर किया है। अचानक घर आने के कारण कोई भी पेंटिंग का सामान नहीं ले आ पायीं, मगर कलाकार हर चीज़ से रंग भर देते हैं।
पहले से ही दो-दो विश्व रिकार्ड अपने नाम कर चुकी नेहा के मन में यह विचार आया कि घर बैठे भी कुछ करूं और मेकअप का सामान एवं रसोई के कुछ मसालों से एक ऋषि एवं उनके बगल में बैठकर ज्ञान प्राप्त करते हुए एक आधुनिक वैज्ञानिक का चित्रांकन शुरु कर दी, जिसे मूर्त रूप भी मिल गया। बतौर नेहा, किसी गुरु के सानिध्य में बैठकर वैदिक ज्ञान को समझने को उप-निषद कहते हैं। यह चित्र भी कुछ ऐसे ही इशारा कर रहे हैं। हाल ही में दशोपनिषद पर पेंटिंग द्वारा दुनिया का पहला डिजिटल एल्बम बना चुकी नेहा का मानना है कि जब वेद एवं विज्ञान एक साथ रहेंगे, तभी कोरोना हारेगा।
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