धनतेरस पर विशेष : ज्योतिषाचार्य डॉ अखिलेश उपाध्याय से जानिएं धनतेरस का महत्व और शुभ मुहूर्त



बलिया : कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले पर्व को धनतेरस या धन त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। पाँच दिनों तक मनाये जाने वाले दीपावली पर्व का धनतेरस पहला त्यौहार होता है। इस दिन सोना, चांदी, व पीतल की वस्तुएँ खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा होती है। उस समय भगवान धन्वन्तरि 14वें रत्न के रूप में समुद्र मंथन से बाहर आये हुए थे।
धनतेरस का महत्व
मान्यताओं के अनुसार इस दिन घर में नयी वस्तुएँ लाने से घर में धन की देवी माता लक्ष्मी और धन के देवता कहे जाने वाले भगवान कुबेर का वास होता है। इस दिन सोना चांदी और पीतल की वस्तुओं को खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन ही राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है। इस दिन नया झाडू खरीदने का भी विधान है। इसके पीछे मान्यता यह है कि झाडू में माता लक्ष्मी का वास होता है और इसे घर में लाने से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। इस दिन भगवान धन्वन्तरि के साथ साथ भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की भी पूजा की जाती है।
पंचदीपोत्सव पर्व आज से
धनतेरस के दिन प्रदोष काल में ईशान कोण या पूजा स्थान पर गाय की घी या तिल का तेल का दीपक धनतेरस से लेकर दीपावली तक अखंड दीपक जलाने से उस घर का एक वर्ष के लिए वास्तुदोष स्वतः समाप्त हो जाता है। दो दिन आगे यानि यम द्वितीयक दीपक जला देने से उस घर में यम का प्रवेश नहीं होता है। इसलिए धनतेरस से यम द्वितीयक तक के पर्व को पंचदीपोत्सव पर्व के नाम से जाना जाता है।
धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त
धनतेरस के दिन दोपहर में अभिजीत मुहूर्त - 11:40 से 12:25 तक।
धनतेरस का गोधूलि मुहूर्त - 05:05 बजे से 05:29 बजे तक
धनतेरस मुहूर्त - शाम 06:18 बजे से 08:11 बजे तक रात्रि।
ज्योतिषाचार्य
डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय
इंदरपुर, थम्हनपुरा, बलिया
9918861411

Comments