कोरोना दमन की कामना संग नमामि गंगे ने किया 'बाबा' का जलाभिषेक
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वाराणसी। सावन के तीसरे सोमवार को नमामि गंगे ने कोरोना दमन की कामना से श्री काशी विश्वनाथ का नमन किया। गंगाजल से काशीपुराधिपति का जलाभिषेक कर गंगा निर्मलीकरण हेतु प्रार्थना की गई। बाबा से कोरोना मुक्ति की गुहार लगाई और भारत की समृद्धि रूपी मनोकामना का पिटारा प्रभु चरणों में रख दिया। 'हर हर महादेव शंभू काशी विश्वनाथ गंगे' के उद्घोष संग नमामि गंगे के सदस्यों ने संयोजक राजेश शुक्ला के नेतृत्व में शिव-शक्ति स्वरूप में विराजे बाबा श्री काशी विश्वनाथ की कोरोना के जड़ मूल से विनाश और पर्यावरण संरक्षण के लिए आराधना की।
राजेश शुक्ला ने कहा कि शिव को श्रावण मास अति प्रिय है। प्रकृति की हरियाली शिव की प्रसन्नता का प्रतीक मानी गई है। समुंद्र मंथन के समय भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था, इसलिए शिव का गंगाजल से अभिषेक की परंपरा है। शिव आशुतोष हैं, मात्र एक लोटा जल से संतुष्ट होने वाले महादेव का श्रावण में जलाभिषेक करने से अनंत कोटि यज्ञ का पुण्य फल प्राप्त होता है।
शिव कल्याणकारी हैं। सर्वदा भक्तों का मंगल करते हैं। कोरोना संकट के इस दौर में कई प्रतिकूलताएं हैं। मानव जाति एक अभूतपूर्व युद्ध लड़ रही है। ऐसे में शिव की आराधना का महत्व और बढ़ जाता है। इस अवसर पर महानगर संयोजक शिवदत्त द्विवेदी, महानगर सह संयोजक शिवम अग्रहरी, सत्यम जायसवाल, राम प्रकाश जायसवाल, सूर्यांशु शुक्ला आदि उपस्थित रहे।
राजेश शुक्ला ने कहा कि शिव को श्रावण मास अति प्रिय है। प्रकृति की हरियाली शिव की प्रसन्नता का प्रतीक मानी गई है। समुंद्र मंथन के समय भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था, इसलिए शिव का गंगाजल से अभिषेक की परंपरा है। शिव आशुतोष हैं, मात्र एक लोटा जल से संतुष्ट होने वाले महादेव का श्रावण में जलाभिषेक करने से अनंत कोटि यज्ञ का पुण्य फल प्राप्त होता है।
शिव कल्याणकारी हैं। सर्वदा भक्तों का मंगल करते हैं। कोरोना संकट के इस दौर में कई प्रतिकूलताएं हैं। मानव जाति एक अभूतपूर्व युद्ध लड़ रही है। ऐसे में शिव की आराधना का महत्व और बढ़ जाता है। इस अवसर पर महानगर संयोजक शिवदत्त द्विवेदी, महानगर सह संयोजक शिवम अग्रहरी, सत्यम जायसवाल, राम प्रकाश जायसवाल, सूर्यांशु शुक्ला आदि उपस्थित रहे।
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