सीख ले फूलों से गाफिल मुद्दआ-ए-जिंदगी, खुद महकना ही नहीं...
On




इंद्रदेव त्रिपाठी
'मीर साहब तुम फ़रिश्ता हो तो हो, आदमी होना तो मुश्किल है मियां...' मीर तक़ी मीर की माने तो सच में इंसान होना मुश्किल है, पर जब लोगों की भीड़ में कोई अच्छा व्यक्ति मिल जाता है, तब हम प्रभावित ही नहीं होते, बल्कि हमारा समाज भी लाभान्वित होता है। ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी हैं इंद्रदेव त्रिपाठी जी।
दिल्ली में पूर्वांचल मूल के बड़े उद्योगपतियों में इनका नाम बड़ा है। इसके अनुरूप ही इनका व्यक्तित्व भी बड़ा है। कहते है एक अच्छे सकारात्मक व्यक्तित्व से ज्यादा आकर्षक कुछ भी नहीं हैं। इसकी खूबसूरती समय के साथ कभी फीकी नहीं पड़ती है और तब और भी खूबसूरत हो जाता है, जब आप आगे बढ़कर समाज के उन लोगों के संघर्षपूर्ण प्रयास को शक्ति देते हैं, जिससे ये अपना भविष्य संवार सकें। मैं कई मर्तवा या प्रायः त्रिपाठी जी को ऐसी मदद करते देखा है।
बड़ाई कौन नहीं चाहता। हर व्यक्ति के स्वभाव में शामिल है। यही कारण है कि आज गरीब को एक केला दान कर के भी लोग खबरों में बन जाते हैं, पर त्रिपाठी जी का स्वभाव इससे उल्टा है। कई ऐसी सामाजिक गतिविधियां है, जो त्रिपाठी जी के योगदान से ही पूर्ण होती है, पर स्वभावतः त्रिपाठी जी नेपथ्य में ही होते हैं।
असर लखनवी की एक शेर है...
सीख ले फूलों से गाफिल मुद्दआ-ए-जिंदगी
खुद महकना ही नहीं, गुलशन को महकाना भी है। त्रिपाठी जी के व्यक्तित्व का जब भी स्मरण होता है, उक्त शेर याद हो आता है। कुछ लब्जों में ही त्रिपाठी जी की शख्सियत की पूरी कथा है। आज ऐसे इंसान को अपने समाज में पाकर हम खुश हैं। आइये हम मिलकर इन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं व्यक्त करें।
भरत चतुर्वेदी
भरत चतुर्वेदी
वरिष्ठ पत्रकार की फेसबुकवाल से
Tags: New Delhi

Related Posts
Post Comments

Latest News
25 Nov 2025 07:50:42
मेष जीवन में व्यर्थ के क्रोध एवं वाद-विवाद की स्थिति बन सकती है। किसी दोस्त के सहयोग से आय वृद्धि...




Comments