सेवानिवृत्त होने से तीन दिन पहले शिक्षक कार्यमुक्त, सच्चाई जान चौंक जायेंगे आप
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गिरिडीह (बिहार)। शिक्षा विभाग के खेल निराले हैं। एक शिक्षक ने अपनी पूरी नौकरी बिना शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा किए कर ली। इतनी लंबी अवधि में भी विभाग यह पता नहीं कर सका कि उसके पास शैक्षणिक योग्यता है भी या नहीं। कहीं उसने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी हासिल तो नहीं कर ली है।
सेवानिवृत्त होने के तीन दिन पूर्व 27 अप्रैल को उसके खिलाफ कार्रवाई हुई। उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने जांच के बाद जांच के बाद उसे कार्यमुक्त कर दिया। उक्त शिक्षक को गुरुवार 30 अप्रैल को रिटायर्ड होना था। कार्रवाई के बाद उसे पेंशन समेत तमाम सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है। नौकरी के अंतिम महीने का उसे वेतन भी नहीं मिलेगा। यह शिक्षक हैं कमलाकांत अरुण। वर्तमान में वे जिले के देवरी प्रखंड के बेलाटांड़ स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत थे।
कब दिया था सेवा में योगदान : सहायक शिक्षक कमलाकांत अरुण ने सरकारी सेवा में वर्ष 1980 में योगदान दिया था। इसके बाद से लेकर वे कई स्थानों पर रहते हुए अपनी ड्यूटी की। चालीस साल के अंदर एक बार भी विभाग के आदेश का अनुपालन न करते हुए अपने सर्टिफिकेट को जांच के लिए विभाग को उपलब्ध नहीं कराया।
चालीस साल के सेवाकाल में उक्त शिक्षक ने जिले के कई स्कूलों में अपनी सेवा दी। वे गिरिडीह के अलावा अन्य प्रखंडों के विद्यालयों में सेवा देने के बाद काफी वर्षों से देवरी प्रखंड के बेलाटांड़ स्थित विद्यालय में पदस्थापित थे।
सर्टिफिकेट नहीं देने पर हुई कार्रवाई
सहायक शिक्षक कमलाकांत अरुण से शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की कई बार मांग की गई थी, लेकिन वे इसे अक्सर नजर अंदाज करते रहे। 27 अप्रैल को उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला शिक्षा स्थापना समिति की बैठक हुई। बैठक में उनके द्वारा प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराने, आदेश की अवहेलना करने व प्रमाण पत्रों की जांच कराने में सहयोग नहीं देने के आरोपों की जांच की गई। उनके पास प्रमाण पत्र का न होना या अवैध होने का संदेह पैदा हुआ। ऐसे में बैठक में सर्वसम्मति से कमलाकांत अरुण को सेवामुक्त करने का निर्णय लिया गया।
7 फरवरी को जिला शिक्षा स्थापना समिति की हुई बैठक के बाद उक्त शिक्षक से आठ फरवरी को शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र के साथ जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था लेकिन विभागीय पत्र प्राप्त करने के बाद भी उक्त शिक्षक ने प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया। प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराने पर शिक्षक से स्पष्टीकरण की मांग की गई लेकिन उक्त शिक्षक ने स्पष्टीकरण का भी जवाब नहीं दिया।
डीसी की अध्यक्षता में लिया गया निर्णय
शिक्षक द्वारा न तो प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया गया और न ही विभाग द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण का जवाब दिया गया। 27 अप्रैल को की अध्यक्षता में जिला शिक्षा स्थापना समिति की बैठक हुई। बैठक में समिति के सदस्य उपविकास आयुक्त मुकुंद दास, जिला शिक्षा पदाधिकारी पुष्पा कुजूर, जिला शिक्षा अधीक्षक अरविन्द कुमार व जिला कल्याण पदाधिकारी शामिल थे। अनेक बिदुओं पर चर्चा करने के बाद शिक्षक को कार्यमुक्त करने का निर्णय लिया गया।
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