मां ! तुझ पर फूल चढ़ाएं कैसे, तुम तो स्वयं कमल होती हो...

मां ! तुझ पर फूल चढ़ाएं कैसे, तुम तो स्वयं कमल होती हो...


मेरी ही यादों में खोई
अक्सर तुम पागल होती हो
मां तुम गंगा-जल होती हो।
मां तुम गंगा-जल होती हो।

जीवन भर दुःख के पहाड़ पर
तुम पीती आंसू के सागर।
फिर भी महकाती फूलों-सा
मन का सूना संवत्सर।
जब-जब हम लय गति से भटकें
तब-तब तुम मादल होती हो।

व्रत, उत्सव, मेले की गणना,
कभी न तुम भूला करती हो।
सम्बन्धों की डोर पकड कर,
आजीवन झूला करती हो।
तुम कार्तिक की धुली चाँदनी से,
ज्यादा निर्मल होती हो।

पल-पल जगती-सी आंखों में,
मेरी खातिर स्वप्न सजाती।
अपनी उमर हमें देने को,
मंदिर में घंटियाँ बजाती।
जब-जब ये आँखें धुंधलाती,
तब-तब तुम काजल होती हो।

हम तो नहीं भगीरथ जैसे,
कैसे सिर से कर्ज उतारें।
तुम तो खुद ही गंगाजल हो,
तुमको हम किस जल से तारें।
तुझ पर फूल चढ़ाएं कैसे,
तुम तो स्वयं कमल होती हो।

बिट्टू कुमार पटेल 
कंप्यूटर ऑपरेटर बेलहरी

Related Posts

Post Comments

Comments

Latest News

बलिया पुलिस से मुठभेड़ में आजमगढ़ का बदमाश गिरफ्तार, पैर में लगी गोली बलिया पुलिस से मुठभेड़ में आजमगढ़ का बदमाश गिरफ्तार, पैर में लगी गोली
Ballia News : नरही थाना पुलिस को ने मुठभेड़ के दौरान एक गौ-तस्कर करने को गिरफ्तार किया है। बदमाश के...
13 November Ka Rashifal : कैसा रहेगा अपना गुरुवार, पढ़ें आज का राशिफल
बलिया ने खो दिया आज़ादी की लड़ाई का आखिरी साक्षी, नहीं रहे सेनानी रामविचार पाण्डेय
Ballia News : फेफना विधानसभा के चारों मंडल के भाजपा पदाधिकारियों की बैठक में इन विन्दुओं पर फोकस
बलिया का ददरी मेला : भारतेंदु मंच पर संत समागम, प्रतिष्ठित 25 धर्मगुरु देंगे उपदेश
ददरी मेला बलिया : भोजपुरी नाइट्स में धमाल मचायेंगे भोजपुरी अभिनेता और अभिनेत्री
बलिया में भीषण Road Accident : पेड़ से टकराई तेज रफ्तार बोलेरो, चार लड़कों की दर्दनाक मौत