शिक्षिका श्वेता तिवारी की मौत पर शिक्षक ने शेयर किया मार्मिक पोस्ट
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आज मैं, राम प्रसाद भैया, जय प्रकाश जी,जमाल जी, रंजीत जी, राजकुमार जी, राहुल जी, पशुपति जी, अभिमनु जी, धर्मेंद्र जी और तमाम साथी जिसमें नाम तो सबका जानता हूं, लेकिन लिखना संभव नहीं हो पा रहा है। उनके घर पर गए तो सभी की ज़ुबान पर बस एक ही सवाल था कि ये कैसे हो गया???
इसके आगे ना ही किसी के पास कोई प्रश्न था और ना ही कोई जबाव। किसी के पास एक तरफ जमीन पर बैठी उनकी माता जी, जिनको कल तक ये उम्मीद थी कि मेरी बेटी कल मेरे जीवन का सहारा बनेगी। मेरी हर मुश्किल में मेरे साथ कंधा से कंधा मिला कर चलेगी।
आज हर कोई नाकाम था। उस मां को झूठी भी सान्तवना देने के लिए। किसी के पास हिम्मत नहीं थी कि उस मां को ये बता सकें कि आप की बेटी जिस विभाग में नौकरी करता थी, वो विभाग आप के लिए, आप के बुढ़ापे के लिए, आप के बेटे बेटियों के लिए क्या मदद कर सकता है ?? आज उस मृतात्मा के हक़ में क्या है, आप भी जानिये...
??बीमा-शून्य
??पेंशन-शून्य
??नौकरी-शून्य
??उसका चार साल बेसिक की सेवा देना-शून्य
आज सब शून्य है, उस मां के लिए। वो शून्य से ऊपर आज कही है तो वो सिर्फ आप के और हमारे दिल में है। इस विभाग में आज से उसकी सेवा ख़त्म हो गई। विभाग भी शायद आज अपना दायित्व ख़त्म कर लिया होगा। आज उस मां को बीमा, नौकरी, पेंशन कुछ भी नहीं चाहिए, उसे चाहिए तो सिर्फ और सिर्फ उसकी बेटी। जो हम और आप या कोई भी उन्हें नहीं दे सकता। लेकिन हम उस मां को उसकी बेटी का हक़ तो दिला ही सकते है। शायद हम और आप भी उसे उसका हक़ दिलाने में आज असफल हो जायेंगे, क्योंकि उसके मरने से पहले ही हमारी ऊर्जा, हमारी ताकत, हमारी पहचान, हमारी शक्ति, हमारा संगठन मर सा गया है, जो आज हम उसका हक़ उसे दिलाने में असमर्थ है।
मेरे दोस्तों, मेरे साथियो,.मेरे भाइयों जरा सोचिये... आज जो श्वेता जी के साथ हुआ, कल आप के साथ भी हो सकता है। हमारे साथ भी हो सकता है। आप के चाहने वाले के साथ भी हो सकता है, तो फिर चुप्पी को तोड़िये और संघर्ष कीजिये, क्योकि संघर्ष ही इंसान की पहचान है।
इसके आगे ना ही किसी के पास कोई प्रश्न था और ना ही कोई जबाव। किसी के पास एक तरफ जमीन पर बैठी उनकी माता जी, जिनको कल तक ये उम्मीद थी कि मेरी बेटी कल मेरे जीवन का सहारा बनेगी। मेरी हर मुश्किल में मेरे साथ कंधा से कंधा मिला कर चलेगी।
आज हर कोई नाकाम था। उस मां को झूठी भी सान्तवना देने के लिए। किसी के पास हिम्मत नहीं थी कि उस मां को ये बता सकें कि आप की बेटी जिस विभाग में नौकरी करता थी, वो विभाग आप के लिए, आप के बुढ़ापे के लिए, आप के बेटे बेटियों के लिए क्या मदद कर सकता है ?? आज उस मृतात्मा के हक़ में क्या है, आप भी जानिये...
??बीमा-शून्य
??पेंशन-शून्य
??नौकरी-शून्य
??उसका चार साल बेसिक की सेवा देना-शून्य
आज सब शून्य है, उस मां के लिए। वो शून्य से ऊपर आज कही है तो वो सिर्फ आप के और हमारे दिल में है। इस विभाग में आज से उसकी सेवा ख़त्म हो गई। विभाग भी शायद आज अपना दायित्व ख़त्म कर लिया होगा। आज उस मां को बीमा, नौकरी, पेंशन कुछ भी नहीं चाहिए, उसे चाहिए तो सिर्फ और सिर्फ उसकी बेटी। जो हम और आप या कोई भी उन्हें नहीं दे सकता। लेकिन हम उस मां को उसकी बेटी का हक़ तो दिला ही सकते है। शायद हम और आप भी उसे उसका हक़ दिलाने में आज असफल हो जायेंगे, क्योंकि उसके मरने से पहले ही हमारी ऊर्जा, हमारी ताकत, हमारी पहचान, हमारी शक्ति, हमारा संगठन मर सा गया है, जो आज हम उसका हक़ उसे दिलाने में असमर्थ है।
मेरे दोस्तों, मेरे साथियो,.मेरे भाइयों जरा सोचिये... आज जो श्वेता जी के साथ हुआ, कल आप के साथ भी हो सकता है। हमारे साथ भी हो सकता है। आप के चाहने वाले के साथ भी हो सकता है, तो फिर चुप्पी को तोड़िये और संघर्ष कीजिये, क्योकि संघर्ष ही इंसान की पहचान है।
एक ही लक्ष्य-पुरानी पेंशन
गौरव यादव, जनपद-बलिया
Tags: Ballia News
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