बलिया : बचपन से ही संघ के विचारों से प्रभावित रहे अमीरचंद

बलिया : बचपन से ही संघ के विचारों से प्रभावित रहे अमीरचंद



बलिया। अमीरचंद जी का जन्म बलिया जिले मुख्यालय से 5 किमी दूर ब्रह्माइन गांव में एक अगस्त, 1965 को हुआ। पिता स्व. अवधकिशोर व माता का नाम गुलजरिया देवी की कुल सात में छठवीं सन्तान अमीरचंद जी की अपने धर्म व संस्कृति के प्रति रुचि बचपन से ही रही। वह आरएसएस के विचारों से हमेशा प्रभावित रहते थे। इनके परिवार का मुख्य पेशा तो व्यापार था, पर अमीरचंद जी शुरू से ही धार्मिक व आध्यात्मिक अनुष्ठानों से जुड़े रहे। सुबह-शाम संघ की शाखा में उपस्थित रहना व उसके प्रचार-प्रसार के प्रति विशेष लगाव इनके अंदर हमेशा दिखाई देता था। 

अमीरचंद जी के पिता अवधकिशोर 1971 में सपरिवार ब्रह्माइन गांव से हनुमानगंज में आकर बस गया वहीं अपने व्यापार को बढाने में लग गए। 1985 में अमीरचंद जी के परिवार ने इनको कलकत्ता व्यापार करने के लिए भेज दिया। वहां जाने के बाद उनको संघ के कार्य व गतिविधियों की आंशिक जानकारी हो चुकी थी। उनका मन हमेशा व्यापार छोड़ राष्ट्र की सेवा में समर्पित होने से प्रतीत हो रहा था। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में काम करने का निर्णय लिया। संघ की विभिन्न जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए संस्कार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री के पद तक पहुंचे और उसी सन्दर्भ में अरुणाचल प्रदेश में प्रवास के दौरान अपने शरीर का त्याग कर 16 अक्टूबर को शाम 7 बजे अचानक संसार को अलविदा कह गए।

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