हम भी तुम भी ❤️

हम भी तुम भी ❤️

हम भी तुम भी ❤️

सिर्फ़ रात ही नहीं बीतती
बीत जाता है दिन भी
दीए का तेल ही नहीं जलता
जल कम होती है बाती भी

दु:ख होतें हैं ख़त्म तो
सुख भी बीत जाता है
आते हैं सब जाने के लिए
समय चक्र यही बतलाता है

मेजबां कोई नहीं
यहां मेहमां हैं सभी
बीत जाता है सब कुछ
यहां धीरे-धीरे

बीत जाएंगे हम भी 
यहां धीरे-धीरे
बीत जावोगे तुम भी 
यहां धीरे-धीरे ।


धनंजय शर्मा
बलिया, उत्तरप्रदेश

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