बलिया BSA की नई रचना 'मिलन की आस' को खूब मिल रही सराहना
On



मिलन की आस
कह दो चांद को चांद
यदि तुम्हें यकीन है,
वरना चांद को कह दो सूरज
जो हसीन है।
एक रात का प्रेमी है
एक पूरे दिन का
रात और दिन केे होते हुए
दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं।
रास्ते दिखाते हैं
दुनिया को मगर
खुद भी एक दूसरे के
रास्ते पर नहीं चलते।
फिर भी शायद
चोरी छिपे अंजान बनकर,
मिलने का वादा तो करते हैं
लेकिन मिल नहीं सकते।
जहान ने देखा है अक्सर
दोनों को मुस्कुराते हुए
अपनी तह में जाकर
मंजिल को भागते हुए।
बहला-फुसलाकर लोगों को
अपने रंग मेें मिलाते हुए
एक संज्ञा दी है जिसे,
वर्षों से सबके मन में
नई-नई ताजगी के भाव
नित लाते रहे हैं।
यदि दोनों ही छिप जायें तो
संसार अधूरा हो जायेगा,
दिन और रात का मिलन भी शायद
पूरा हो जायेगा।
पर मिलन की आस केे लिए
दोनों एक दूसरे से शायद,
ना दिखाई देने की चोरी से
सदियों पहले कसम खा चुके हैं।
शिव नारायण सिंह 'शान' बीएसए, बलिया की फेसबुकवाल से
Tags: Ballia News

Related Posts
Post Comments
Latest News
18 Sep 2025 15:16:12
बलिया : उत्तर प्रदेश सीनियर बेसिक शिक्षक संघ के प्रांतीय कार्यकारणी के निर्देश पर जनपदीय इकाई ने टेट को लेकर...
Comments