बलिया : पत्रकार की बेटी ने मां को समर्पित की यह कविता, 12वीं की छात्रा है कामना
By Bhola Prasad
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मडर्स डे पर विशेष
मां तुमसे ही हम दुनिया में आते है,
फिर तुम ही को हम क्यों भूल जाते है।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
उंगली पकड़कर चलना भी तुम हमें सीखाती हो,
पर तुम्हें सहारा देने हम कभी नहीं आते है।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
घूम घूम कर खाना हमें तुम ही खिलाती हो,
पर एक एक निवाले के लिए तुम स्वयं तरस जाती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
हमारी हर जिद को पूरा तुम ही करती हो,
पर अपनी किसी भी जरूरत को तुम किसी से नहीं कह पाती हो।
हमारे हर गुस्से को तुम हर बार सह जाती हो,
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो?
हमारी हर खुशी को अपनी खुशी समझ जाती हो,
अपने गम तुम किसी को भी नहीं बताती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
हमारी हर ख्वाहिशों को सर माथे लगाती हो,
तुम अपने सपने को छोड़ हमारे सारे सपने पूरे कराती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
इतनी भोली क्यों होती हो तुम, की आसानी से छल दी जाती हो।
भगवान की परछाई होने के बावजूद, तुम एक कोने में छोड़ दी जाती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
लेखिका : कामना पांडेय
(कामना पांडेय, बलिया के वरिष्ठ पत्रकार श्रवण पांडेय की पुत्री है।)
कक्षा- 12
मां
मां तुमसे ही हम दुनिया में आते है,
फिर तुम ही को हम क्यों भूल जाते है।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
उंगली पकड़कर चलना भी तुम हमें सीखाती हो,
पर तुम्हें सहारा देने हम कभी नहीं आते है।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
घूम घूम कर खाना हमें तुम ही खिलाती हो,
पर एक एक निवाले के लिए तुम स्वयं तरस जाती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
हमारी हर जिद को पूरा तुम ही करती हो,
पर अपनी किसी भी जरूरत को तुम किसी से नहीं कह पाती हो।
हमारे हर गुस्से को तुम हर बार सह जाती हो,
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो?
हमारी हर खुशी को अपनी खुशी समझ जाती हो,
अपने गम तुम किसी को भी नहीं बताती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
हमारी हर ख्वाहिशों को सर माथे लगाती हो,
तुम अपने सपने को छोड़ हमारे सारे सपने पूरे कराती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
इतनी भोली क्यों होती हो तुम, की आसानी से छल दी जाती हो।
भगवान की परछाई होने के बावजूद, तुम एक कोने में छोड़ दी जाती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
लेखिका : कामना पांडेय
(कामना पांडेय, बलिया के वरिष्ठ पत्रकार श्रवण पांडेय की पुत्री है।)
कक्षा- 12
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