बलिया : 'पतली' होती जा रही इन शिक्षकों की हालत, फिर भी...
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मनियर, बलिया। 'जबरन मारन रोवन न दे' वही स्थिति इन दिनों कुछ प्राइवेट विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की है। उनकी स्थिति बंधुआ मजदूर से भी बदतर है। मान्यता प्राप्त अधिकांश विद्यालय शिक्षकों का शोषण कर रहे हैं। हाई स्कूल, इंटर, बीए, एमए, बीएड, टेट तथा सुपर टेट की योग्यता रखने वाले युवा 1500 से लेकर छह-सात हजार रुपये के मानदेय पर अपने क्षेत्र में प्राइवेट विद्यालयों में पढ़ा रहे है।
मार्च के चौथे सप्ताह में लाक डाउन के चलते विद्यालय बंद कर दिए गए। कुछ विद्यालय वार्षिक परीक्षा करा लिए थे तो कुछ अभी तक वार्षिक परीक्षा नहीं करा पाए। मार्च लास्ट वीक में विद्यालय बंद होने के कारण अधिकांश विद्यालय अभी अप्रैल माह का मानदेय तो दूर मार्च महीने का भी मानदेय अध्यापकों को नहीं दे पाए हैं। ऐसे मेें इन शिक्षकों के सामने संकट खड़ा हो गया है। बावजूद वे शिकायत करने से परहेज कर रहे है। उनका कहना है कि यदि नाम सामने आया तो उनकी नौकरी चली जायेगी।
सरकार ने प्राइवेट विद्यालय के अध्यापकों का वेतन देने के लिए प्रबंधकों को निर्देश भी जारी किया है। लेकिन इसका खौफ थोड़ा भी विद्यालय प्रबंधकों पर नहीं है। नाम न छापने की शर्त पर कई अध्यापकों ने बताया कि गर्मी की छुट्टी से पहले विद्यालय का संचालन संभव नहीं है। विद्यालय कहीं जुलाई अगस्त में ही खुलने के आसार हैं। प्रबंधकों को मार्च-अप्रैल- मई-जून की सैलरी न देनी पड़े। इससे अच्छा है कि वह उन्हें अपने यहां से निष्कासित कर दें। जब विद्यालय खुले तो फिर दूसरे अध्यापकों को रख लेंगे। बेरोजगारी के दौर में पढ़े लिखे लोगों की कमी नहीं है। तीन-चार माह का सैलरी न देने से उनको अच्छी आय हो जाएगी।
वीरेन्द्र सिंह
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