शिक्षक की रचना, 'मैं मजदूर हूं क्योंकि...'
On
मैं मजदूर हूं क्योंकि, मजबूर मैं होता हूं
सड़कों पर तपता हूं, भट्टी में मैं जलता हूँ
तेरे राह का सब ठोकर,सदा मैं उठाता हूँ
गांवों से भाग-भाग,शहरों का शो बन जाता हूं
दिन-रात मेहनत कर,पेट अपनों का भर पाता हूँ
बेरोजगारी आलम में,भुखमरी शिकार हो जाता हूं
मैं मजदूर हूं क्योंकि,मजबूर मैं होता हूं
हाथ पांव में छाला, घुट-घुट जीवन जीता हूं
एक हाथ में हथियार लिए, दूजे से संकल्प लेता हूं
भाग्य अपना बना न पाता, सौभाग्य तेरा बनाता हूं
अपना जीवन संवरेगा, सपना ऐसा देख लेता हूं
उमीद कल अपना होगा,इस आस में जी लेता हूं
मैं मजदूर हूं क्योंकि, मजबूर मैं होता हूं
सड़क कल कारखानों में,सब जग मैं होता हूं
कामों का बोझ लिए,दर्द का आंसू पीता हूं
नम आंखों में बोझ लिए, सब पीड़ा शह लेता हूं
जब श्रम का बोझ होता है, परिश्रम कर लेता हूं
रोते-हंसते इस जग में,जीवन जीना सीख लेता हूं
मैं मजदूर हूं क्योंकि, मजबूर मैं होता हूं
अमीर रहते महलों में, पैदल सड़क नाप जाता हूं
इतिहास लिखा जब भी, अछूता सा रह जाता हूं
मुझे चाह नहीं महलों का, झुग्गी में रह लेता हूं
ख्वाब नहीं जन्नत का,फुटपात पर जी लेता हूं
सरकार नियम बनाती,आस लगाए रह जाता हूं
नम्बर सायद अब अपना,पेपर सब पढ़ जाता हूं
मैं मजदूर हूं क्योंकि, मजबूर मैं होता हूं
देव कुमार यादव
प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक
दिल्ली
Tags: नई दिल्ली
Related Posts
Post Comments
Latest News
बलिया : मेधावियों को प्रतिभा सम्मान से स्कूल ने किया सम्मानित
25 Apr 2024 22:32:47
दोकटी, बलिया : विकास खण्ड मुरली छपरा अन्तर्गत नरहरि बाबा इंटर कालेज, कर्णछपरा के प्रांगण में यूपी बोर्ड परीक्षा 2024...
Comments