बलिया : वरिष्ठ पत्रकार की बेटी कामना पांडेय ने कर दी मार्मिक रचना, जरूर पढ़़ें
By Bhola Prasad
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मां की गोद से पैदा होने पर ही बांट दिया जाता है हमें,
लड़की हुई है यह कहकर क्यों टाल दिया जाता है हमें।
इस दुनिया को देखने की जब खुलती है आखें,
तब न जाने क्यों मार दिया जाता है हमें।
बड़े हो जाने पर तौर-तरीके, मर्यादा सिखाया जाता है हमें,
आखिर क्यों लक्ष्मण रेखा में बाध दिया जाता है हमें।
सपने को देखने का जब हक दिया जाता है हमें,
फिर उन्हीं सपनों को जीने का हक क्यों नहीं दिया जाता है हमे।
यूं तो देवी मान कर पूजा जाता है हमें,
हर रोज फिर क्यों हैवानियत से गुजर जाना पड़ता है हमें।
अन्दर का गुस्सा जब बार-बार आवाज उठाने को मजबूर करता हमें,
साथ देने की बजाय चुप क्यों करा दिया जाता है हमें।
पर अब...
अब ये अन्दर की आवाज चुप रहने की इजाजत नहीं देती हमें,
अब लाख पंख तुम काट लो, बिन पंखों के भी उड़ान भरना आ गया है हमें।
कामना पांडेय
मिड्ढ़ा, बलिया
(कामना पांडेय, बलिया अमर उजाला के वरिष्ठ पत्रकार श्रवण पांडेय की बेटी है।)
Tags: बलिया
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