रिश्तों में मिठास घोल रहा लॉकडाउन Ballia News
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एक साथ रहने से दूर हो रहे आपसी छोटे-मोटे गिले शिकवे
तनाव का स्तर भी हो रहा कम, समझ में आ रही अहमियत
बलिया। एक दौर था जब लोगों के पास किसी से बात करने तक का समय नहीं था। आज लोगों के पास समय ही समय है। ऐसे में लोगों के तनाव का स्तर स्वत: ही कम होने लगा है अैर एक दूसरे की अहमियत समझ में आ रही है। यूं कहें कि लॉकडाउन आपसी रिश्तों में मिठासा घोल रहा है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सुबह से शाम तक एक साथ रहने से लोगों के छोटे मोटे गिले सिकवे भी दूर हो रहे हैं।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण संकट से पूर्व यहां सभी के जिंदगी की गाड़ी पूरी रफ्तार से दौड़ रही थी। सभी अपने काम में इतने व्यस्त दिख रहे थे कि किसी के पास किसी के लिए समय नहीं था। यही कारण है कि लोग एक दूसरे से चाह कर भी नहीं मिल पा रहे थे। लोगों का एक दूसरे से न मिलना आपसी तनाव का बड़ा माध्यम बना और लंबा चलने के कारण यह लोगों को सिस्टम में आ गया।
ऐसे में एकाकी जीवन से ही लोगों को प्रेम हो गया. लोगों से मिलने का माध्यम बस सोशल मीडिया ही रह गया. ऐसे में आपसी रिश्तों में लंबे समय से खटास बढ़ती गयी। इसी बीच कोरोना का एक संकट आया और पूरा देश एक साथ रूक गया। लोग घरों में कैद हो गए और दिन दिन भर एक ही स्थान पर रहने लगे। लगभग दो सप्ताह से देश में चल रहे लॉकडाउन से नुकसान चाहे जितना हुआ हो पर यही एक फायदा हुआ।
कुछ दिन तक तो लोग एक साथ रहकर भी दूर दूर ही रहे पर जब उन्होंने इस बात पर मनन दिया और देशकाल की परिस्थितियां देखी तो उनकी अवधारणा धीरे धीरे बदलने लगी। आज दो सप्ताह के लॉकडाउन ने लोगों की अवधारणा बदलने लगी। अब लोगों को अपसी रिश्तों में मिठास बढ़ने लगी है। कोरोना के संकट को भगाने के लिए रामबाण बना लाकडाउन आपसी रिश्तों के लिए रामबाण का काम कर रहा है।
शशिकांत ओझा
शशिकांत ओझा
Tags: बलिया

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