Covid19 : बलिया की बेटी पारूल ओझा का दो टूक 'ए मानव...', जरूर पढ़ें
By Bhola Prasad
On


बलिया। कोरोना संक्रमण को लेकर तरह-तरह के प्रचार-प्रसार किये जा रहे हैं। इस बीच लॉकडाउन के दौरान 10वीं का (ICSE BOARD) परीक्षा देकर परिणाम का इंतजार कर रही 15 वर्षीय छात्रा अगर कविता के माध्यम से हम-आपको समझाने की कोशिश करे तो निश्चित ही इस बालिका पर गर्व किया जा सकता है। बलिया जनपद के बेरुआरबारी ब्लॉक अंतर्गत धनिधरा गांव निवासी पवन ओझा की पुत्री पारूल ओझा गाजियाबाद के सेवा नगर में अपने पूरे परिवार के साथ रहती है। पारुल की माने तो कविता में बहुत रुचि है, अंग्रेजी में कविता लिखी है। लेकिन हिंदी में स्वामी विवेकानंद और गुरुदेव पवन सिन्हा जी को नमन करते हुए लाकडाउन पर कविता लिखी हैं।
ए मानव संभलों
रुठ गई ये धरती प्यारी
रूठा देखो अब यह नभ है,
सूख गई फूलों की क्यारी
सूखा गंगा का आंचल है।
नीलांबर हो कृष्ण रो पड़ा
देखो अपने द्रव को मानव,
धरती मां ने क्यों बांध है तोड़ा
अस्तित्व त्याग तूं बनता दानव।
मीठी बयार में ज़हर घोल कर
ए मूर्ख देख तू कितना खुश है,
गर्भ झील का तू मैला कर
आगे बढ़ने को आतुर है।
तूने हरियाली का घर छीना
इस पर भी तू गर्व करे,
धरती को विष पड़ता है पीना
पर धरती मां है, और संभलेगी
तुझसे ये भय ना खाती है,
जंजीर तोड़ कर ये बोलेगी
तेरी भी सीमा आती है।
ले देख धरा भी अब खुश है
जबसे तू घर के भीतर है,
तेरे कर्मों का यह अंकुश है
ये दुख जो करता व्याकुल है।
ए मानव समझो इस भय को
धरती का एक इशारा है,
अब भी तू सीमा में लय हो
ये आस ही एक सहारा है।
तुम मानो गलती, संभलो अब
यही समय है, हां और कब..?
ऐसा होने पर कंठ से रोती चिड़िया भी चहकाएगी,
ये धरती मां है, पुत्र समझकर तुझको फिर से गले लगाएगी।
Parul Ojha
Tags: बलिया
Related Posts






Post Comments
Latest News

08 Dec 2023 20:17:13
बलिया। शिक्षण कार्य की बजाय कक्षा कक्ष के बाहर बैठकर मोबाइल चलाना सहायक अध्यापक रामजी चौबे को मंहगा पड़ गया...
Comments