शिव श्रृंगार कराती है मानव जीवन के क्षणभंगुरता का बोध
Ballia News : नगर से सटे परिखरा के बाबा परमहंस नाथ मंदिर के प्रांगण में शिव महापुराण कथा के चतुर्थ दिवस पर काशी से पधारें परम पूज्य शशिकान्त जी महाराज ने कहा कि जब भगवान शिव ने नेत्र बन्द किया तो ताड़का सुर प्रकट हो गया। वहीं जब समाज के सज्जन महापुरुष अपने नेत्र को बन्द कर ले, तब समाज में बुराई रूपी ताड़का सुर प्रकट हो जाता है। इसलिए समाज के सज्जन महापुरषों को चाहिए कि वो सदैव जागृत रहकर समाज का कल्याण करते रहे।
बताया कि भगवान शिव जब विवाह करने गए तो चिता भष्म लगाया। मानो वो हम सबको शिक्षा देना चाहते है कि हम इस शरीर को कितना भी संवार व सजा लें, पर एक दिन चिता भष्म ही बनना है। वहीं भगवान शिव ने अर्द्ध चन्द्र को धारण कर समाज को यह शिक्षा दिया है कि जीवों को समाज की बुराइयों का त्याग कर समाज की अच्छाइयों को धारण करना चाहिए। साथ ही भगवान महादेव जब विवाह करने गए तो बूढ़े नंदी पर सवार हो कर गए, क्योंकि भगवान शिव विश्वास है और नंदी धर्म का प्रतीक है।
महाराज ने कहा कि भगवान शिव कहना चाहते है कि अपना धर्म कितना भी बूढ़ा और पुराना क्यों न हो, पर हमारा विश्वास तो केवल धर्म पर ही होना चाहिए। इस दौरान महाराज जी ने अपने में शिव विवाह कथा की कथा कही। जिससें वहां आये सभी श्रोतागण भगवान शिव का बाराती बनकर खूब नाचे झूमे और कथा का आनंद लिया। इस मौके पर चंद्रभान सिंह, दयानंद मिश्रा, डा राजेंद्र सिंह, रामप्रवेश सिंह, सालिक सिंह, भूल्लू सिंह, उपेंद्र, मुकेश, मोहन सिंह, मालिक सिंह सहित हजारों की भारी संख्या में भक्तों ने कथा का आनंद लिया।
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