बलिया : अनशनकारियों से 'खुशी' के लिए रेलवे अफसर ने मांगा वक्त, सार्थक पहल पर झूमे लोग
बलिया : क्षेत्रीय संघर्ष समिति के बैनर तले फेफना जं. रेलवे स्टेशन पर 41 दिनों से एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव सहित पांच सूत्रीय मांगों को लेकर चल रहा धरना प्रदर्शन एवं अनशन आखिरकार रंग लाया। मंगलवार को अनशन स्थल पर पहुंचे एडीआरएम वाराणसी जोन राजेश कुमार सिंह ने तीन माह के अंदर सारनाथ एक्सप्रेस, गोंदिया एक्सप्रेस या सद्भावना एक्सप्रेस एवं उत्सर्ग एक्सप्रेस का ठहराव सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। तत्पश्चात आमरण अनशन पर बैठे संतोष सिंह को जूस पिलाकर अनशन तोड़वाया। इधर, एडीआरएम के अनशन स्थल पर पहुंचने की सूचना मिलते ही सैकड़ों क्षेत्रवासी पहुंच गये।
बता दें कि एडीआरएम के सोमवार की देर शाम आने की सूचना थी, लेकिन किन्ही कारणवश वह नहीं आ सके। मंगलवार को अपने सैलून से एडीआरएम सीधे बलिया पहुंचे और जिला प्रशासन के साथ बैठक की। तत्पश्चात एडीएम देवेन्द्र प्रताप सिंह एवं एएसपी कृपाशंकर के साथ सड़क मार्ग से अनशन स्थल पर पहुंचे। उन्होंने समिति के प्रतिनिधि मंडल से हर बिन्दुओं पर चर्चा की।
इसके बाद तीन माह के अंदर फेफना जं. रेलवे स्टेशन पर सारनाथ एक्सप्रेस, गोंदिया एक्सप्रेस या सद्भावना एक्सप्रेस एवं उत्सर्ग एक्सप्रेस का ठहराव सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। यही नहीं, फेफना-गड़वार रेलवे क्रासिंग पर उपरिगामी सेतु का निर्माण, टिकट खिड़की को स्टेशन से बाहर करने, बगल में यात्री प्रतीक्षालय बनाने एवं आरक्षित टिकट काउंटर बनाने की दिशा में सार्थक पहल करने का भरोसा दिया।
इतना सुनते ही लोग खुशी में नारे लगाने लगे। इस अवसर पर जनार्दन सिंह, विधायक संग्राम सिंह यादव, प्रभुनाथ पहलवान, राजेश गुप्त, तेजनारायण, शिवाजी, विक्रमा अंबेडकर, अवधनारायण, समरबहादुर, गंगेश्वर सिंह, हरिनाथ सिंह, सतीश उपाध्याय, अभिषेक सिंह, सुशांत राज भारत, परमहंस सिंह आदि मौजूद रहे।
संघर्ष समिति के संयोजक जनार्दन सिंह ने दी जानकारी
क्षेत्रीय संघर्ष समिति के संयोजक जनार्दन सिंह ने एडीआरएम से वार्ता करने के बाद अनशन स्थल पर आकर क्षेत्रवासियों को पूरी जानकारी दी। कहा कि यदि तीन माह के अंदर फेफना जं. रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव सहित अन्य मांगों को पूरा नहीं किया गया तो हम फिर सीधे रेलवे ट्रैक पर उतरने का काम करेंगे। इसका लोगों ने हाथ उठाकर समर्थन किया। श्री सिंह ने कहा कि यह जनता की लड़ाई है। इसमें किसानों, मजदूरों, व्यापारियों एवं छात्र-नौजवानों का भरपूर समर्थन मिला है। हम इसके लिए सभी का आभार व्यक्त करते है।
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