संपादन कला में दक्ष संस्कृति और संस्कृत के मेरूदंड थे आचार्य जी : डॉ. राय
On




बलिया। ओझवलिया की माटी में जन्मे और मोक्ष दायिनी काशी की सांस्कृतिक धरती में अंतिम सांस लेने वाले आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हिंदी गद्य साहित्य के शलाका पुरुष थे। अध्यापन और अनुशंधित्सु वृत्ति में अप्रतिम आचार्य संपादन कला में दक्ष संस्कृति और संस्कृत के मेरूदंड थे।
काशीपुर स्थित मानवीय साहित्यिक मंच के तत्वावधान में मंगलवार को आयोजित सादे कार्यक्रम में पुण्यतिथि पर नमन करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जर्नादन राय ने कहा कि आचार्य जी उपन्यास, कहानी, गल्प, साहित्येतिहास, निबंध एवं ललित निबंधकार के रूप वे अप्रतिम थे। वे मनुष्य की दृष्टि से साहित्य को देखने के पक्षपाती थे।
उनका कहना था कि जो साहित्य मनुष्य की आत्मा को तेजोदिप्त न बना सकें, उसे साहित्य कहने में मुझे संकोच होता है। वस्तुतः वे सत्य, शिव, सुंदर के समन्वय के पक्षधर थे। उनका समूर्ण साहित्य मानवता का महोच्चार है। इस मौके पर कामेश्वर नाथ पांडेय, श्रीप्रकाश मिश्र, अशोक कुमार पांडेय, रजनीश उपाध्याय, श्रीनिवास यादव इत्यादि ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए एक-एक कर आचार्य जी को नमन किया।
Tags: बलिया

Related Posts
Post Comments

Latest News
05 Dec 2025 10:43:55
बलिया : उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से गुजर रहे नेशनल हाईवे 31 पर स्थित हल्दी थाने से 300 मीटर...



Comments