जीवित्पुत्रिका स्पेशल : बलिया की डॉ. मिथिलेश राय ने बचपन में महसूस किया था 'लाल और लाडो' में कुछ ऐसा अंतर, फिर...
On




जीवित्पुत्रिका व्रत स्पेशल
लाल के साथ-साथ अब लाडो को मिलने लगा बराबरी का दर्जा
त्याग, प्रेम और पवित्रता के पराकाष्ठा का पर्व जिउतिया माताएं अपने पुत्र के दीर्घायु होने के लिए करती रही हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बदलाव के साथ परम्परा उन्नति के साथ आगे बढ़ रही है, जो शुभ संकेत है। मां का लाड़ अब बेटों के साथ ही लाडो (बिटिया) पर भी उमड़ रहा है। ऐसी मान्यता रही है कि जितने बेटे हैं, मां उतनी ही जिउतिया बनाती हैं। कुछ माताएं बेटा और बेटी दोनों के लिए जिउतिया करती रही हैं, लेकिन भेद दिख जाता था। बेटों के लिए सोने और बिटिया के लिए चांदी का जिउतिया बनाया जाता है। लेकिन अब बेटा और बिटिया दोनों के लिए सोने का जिउतिया खरीदा जा रहा हैं। बदलते परिवेश से पहले बचपन में कुछ ऐसा ही अंतर महसूस किया था बलिया की डॉ. मिथिलेश राय ने, जो शब्दों की श्रृंखला बनकर प्रस्तुत है...
चांदी की ही सही...
जीवित्पुत्रिका बेटे का व्रत,
मेरी मां मिथक ये तोड़ी थी।
भाई लोगों के बीच पड़ी जो
एक जीउतिया मेरी थी ।।
मां से मैंने पूछा एक दिन
क्यूं भाई की सोने की?
मेरी कीमत कम रखती हो
तभी नहीं है सोने की।।
पर मेरी मां बहुत चतुर है
प्रेम भी अतिशय करती है।
मेरी मां मिथक ये तोड़ी थी।
भाई लोगों के बीच पड़ी जो
एक जीउतिया मेरी थी ।।
मां से मैंने पूछा एक दिन
क्यूं भाई की सोने की?
मेरी कीमत कम रखती हो
तभी नहीं है सोने की।।
पर मेरी मां बहुत चतुर है
प्रेम भी अतिशय करती है।
दया दान अरु धर्म नीति की
राह ही हरदम चलती है।।
उसने समझाया मुझको
चांदी भी कीमत रखती है।
भाई दोनों सूरज जैसे
तू चांद सी चिपकी रहती है।।
राह ही हरदम चलती है।।
उसने समझाया मुझको
चांदी भी कीमत रखती है।
भाई दोनों सूरज जैसे
तू चांद सी चिपकी रहती है।।
डॉ. मिथिलेश राय
बलिया, उत्तर प्रदेश
Tags: Ballia News


Related Posts
Post Comments
Latest News
09 May 2025 06:33:11
वलिया : बेसिक शिक्षा विभाग के 14 हजार से अधिक शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मियों को अप्रैल माह वेतन नहीं मिल...
Comments