बलिया में हुई शंकराचार्य परिषद व भाग्योदय फाउण्डेशन की हिन्दू पंचायत
बलिया। टाउन हाल सभागार में रविवार को शंकराचार्य परिषद और भाग्योदय फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दू पंचायत हुई। इसमें भारत को सनातनी वैदिक राष्ट्र घोषित करने की संकल्पपूर्ण मांग उठी। हिन्दू रिपब्लिक ऑफ हिन्दुस्थान के लिए हिन्दू पंचायतों की श्रृंखला में बाबर के सेनापति मीरबाकी से घोर युद्ध करने वाले मातादीन पाण्डेय और 1857 के कान्तिवीर मंगल पाण्डेय की धरती बलिया में सम्पन्न आज की पंचायत में जाति तोडो-हिन्दू जोड़ो का नारा भी बुलन्द हुआ।
सभा की अध्यक्षता करते हुए शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनन्द स्वरूप जी महाराज ने कहा कि आज का समय एक ऐसा दौर है, जब हम अपने हक को, अपने अधिकार को ले सकते हैं, मांग सकते हैं, छीन सकते हैं। भारत 1947 में आजाद हुआ, वह सफलता सबकी एकता से ही सम्भव हो सकी थी। एक दुर्भाग्यशाली मांग के चलते राष्ट्र का विभाजन हो गया। बाद में सिक्खों को हमसे अलग करने का असफल प्रयास किए गया। उसके बाद बौद्धों को हमसे अलग करने के प्रयत्न हुए। जैनियों को हिन्दुओं से तोड़ने का प्रयास हुआ। यह षडयन्त्र लगातार चल रहा है।
उन्होंने कहा कि मुसलमान और हम सब हिन्दू समग्र रूप से एक साथ रह रहे थे। सन् 1947 में आजादी के समय इस्लाम के नाम पर एक नया देश बना, उसका नाम हुआ इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान'। एक (1) में से जीरो (0) निकल गया | एक और जीरो मिलकर दस बने थे, जब जीरो निकल गया तब एक बचा। जो जीरो निकला वह रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान था। एक जो बच गया वह हिन्दू रिपब्लिक ऑफ हिंदुस्थान है बलिया के विभिन्न अंचलों से आए जनसमुदाय को संबोधित करते हुए स्वामी आनन्द स्वरूप ने कहा कि आपको अन्धकार में रखकर संविधान में उपबंध बनाए गए। सन् 1976 की वह काली रात जब श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश के संविधान को रौंदते हुए उसमें 42वां संशोधन करके धर्म निरपेक्ष पंथ निरपेक्ष राष्ट्र का शब्द जोड़ दिया गया उसकी में आज भी मुस्लिम तुष्टिकरण, ईसाई तुष्टिकरण हो रहा है । तुष्टिकरण करने वाले जितने भी वामपंथी हैं वे हिन्दू विरोधी हैं। यह बात आज देशवासियों की समझ में आ चुकी है। इसलिए अब वह विपरीत परिस्थिति अनुकूल हुई हैं। उन्होंने कहा, आइए हम सब मिलकर एक हिन्दू राष्ट्र, वैदिक राष्ट्र, सनातन वैदिक राष्ट्र, हिन्दू रिपब्लिक ऑफ हिंदुस्थान का निर्माण करें। श्री स्वामी जी ने सभी को एक साथ खड़े होकर इस अभियान में जुटने को कहा और भारत सरकार से व्यापक राष्ट्रहित के इस विषय पर गम्भीर होने का अनुरोध किया। भाग्योदय फाउण्डेशन नयी दिल्ली के अध्यक्ष व संस्थापक श्रीराम महेश मिश्र ने 'जाति पाति की करो विदाई-हिन्दू हिन्दू भाई भाई' का उद्घोष करते हुए कहा कि यह समय बड़े बदलावों का समय है। तेजी से हो रहे वैश्विक परिवर्तनों के इस काल में भारत की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण बनती जा रही है। ऐसे समय में भारतवर्ष का सनातन संस्कृति से पूर्णतः ओतप्रोत होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य परिषद और भाग्योदय फाउंडेशन का यह प्रयास इस दिशा में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। श्री मिश्र ने देश के युवाओं को जागरूक बनाने हेतु बहुकोणीय प्रयत्न करने का आहवान सभी अग्रणी लोक संस्थाओं एवं राष्ट्र चिन्तकों से किया। बतौर मुख्य वक्ता अपने विचार रखते हुए शंकराचार्य परिषद के राष्ट्रीय पार्षद डॉ.विद्या सागर उपाध्याय ने कहा कि "गम्भीर चिंतन का विषय है कि हिंदुत्व के संरक्षण हेतु वर्तमान में दुनिया में कोई भी राष्ट्र अस्तित्व में नहीं है, जबकि इस्लाम व अन्य मजहबों के संरक्षण और संवर्धन हेतु अनेक राष्ट्र व संगठन निरंतर प्रयत्नशील हैं, इसलिए हिंदुत्व व सनातन संस्कारों को जीवित रखने हेतु भारत का हिन्दू राष्ट्र होना अत्यन्त आवश्यक है।" किन्हीं एक-दो समस्याओं के लिए संघर्ष करने से बेहतर है कि भारत को हिन्दू गणराज्य बनाने हेतु सामूहिक संघर्ष किया जाय, जिससे भारत औपचारिक रूप से हिन्दू राष्ट्र घोषित हो सके। उन्होंने कहा कि इसी से ही न केवल भारतवर्ष अपितु निखिल विश्व का कल्याण हो सकता है। श्री उपाध्याय ने कहा कि पाण्डव पांच गांव ही चाहते थे, लेकिन वो भी सहजता से नहीं मिल सके थे। हमें तो कन्याकुमारी से कश्मीर तक अखण्ड हिन्दू राष्ट्र चाहिए तो निश्चित ही कठिन संघर्ष करना होगा। हिन्दू राष्ट्र बनाना असम्भव नहीं है बस सनातनी समाज में दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए। वर्तमान में शंकराचार्य परिषद और भाग्योदय फाउंडेशन के संयुक्त प्रयास से हिन्दू पंचायतों का जो आयोजन सम्पूर्ण देश में किया जा रहा है, उससे सुख एवं समृद्ध से परिपूर्ण हिन्दू गणराज्य का बीजारोपण हो चुका है, जो शीघ्र ही विशाल वटवृक्ष का रूप धारण करेगा। पंचायत सभा का समापन शंकराचार्य परिषद के जिलाध्यक्ष बब्बन राम के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। हिन्दू पंचायत कार्यक्रम में यतीन्द्र चौबे, आशुतोष गौतम, मुकेश राणा, चंद्रशेखर उपाध्याय, मारुत नन्दन, गोविन्द पाण्डेय, प्रवीण दीक्षित इत्यादि उपस्थित रहे।
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