...तो शिक्षक-कर्मचारी और पेंशनर भी हो जायेंगे डीए से वंचित
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लखनऊ। केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों को महंगाई भत्ता और महंगाई राहत की मौजूदा दरों पर जुलाई 2021 तक रोक लगाने के बाद राज्य सरकार भी इस पर रोक लगा सकती है। ऐसा होने पर राज्य के शिक्षक-कर्मचारी और पेंशनर डेढ़ साल तक डीए और डीआर के बढ़े दर से वंचित हो जाएंगे। केंद्र सरकार द्वारा डीए की घोषणा के बाद ही राज्य सरकार अपने कार्मिकों और पेंशनरों को बढ़े दर से डीए देती आ रही है। राज्य सरकार भी ऐसा ही फैसला करती है तो करीब 2000 करोड़ रुपये के व्यय भार से बच जाएगी।
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केंद्र सरकार के शासनादेश के बाद राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकारें भी केंद्र के हिसाब से फैसले लेते है। ऐसे में तय माना जा रहा है कि प्रदेश के राज्य कर्मियों को भी यह डीए व राहत नहीं मिलेगी। जल्द ही राज्य सरकार भी ऐसा ही आदेश जारी कर सकती है। राज्य सरकार द्वारा यह फैसला लिए जाने पर इस डेढ़ साल की अवधि में समूह 'घ' से लेकर समूह 'क' के अधिकारियों-कर्मचारियों को न्यूनतम 60000 से लेकर 350000 रुपये तक का नुकसान होगा। समूह 'क' के एक अधिकारी ने बताया कि इस डेढ़ साल में उन्हें करीब 2.5 ले लेकर 3.5 लाख रुपये का नुकसान होगा। समूह 'ख' के अधिकारी ने भी दो से ढाई लाख के बीच के नुकसान का आंकलन किया। अनुमान है कि डीए और डीआर बढ़े दर से डेढ़ साल तक नहीं दिए जाने की स्थिति में राज्य सरकार को कम से कम 2000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
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राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने केंद्र सरकार से महंगाई भत्ता फ्रीज किए जाने के फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र के साथ ही राज्य का हर कर्मचारी आपदा के समय सरकार के साथ खड़ा है। तीन महंगाई भत्ते की किस्तों को रोके जाने से केंद्रीय व राज्य कर्मचारियों का बड़ा नुकसान होगा। सरकार चाहे तो कर्मचारी स्वेच्छा से और भी दान दे सकते हैं, महंगाई भत्ता फ्रीज किया जाना अलोकतांत्रित कदम है। महंगाई भत्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित होता है। महंगाई बढ़ने के साथी महंगाई भत्ते की दरों का निर्धारण किया जाता है इसलिए महंगाई भत्ते को फ्रीज किया जाना उचित नहीं है।
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