Lockdown बलिया : बूढ़ी दादी की गोद में बरसती रही नादान आंखें, फोन पर रोते रहे मम्मी-पापा
By Bhola Prasad
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मझौवां, बलिया। बूढ़ी दादी से लिपटी तीन मासूम बहनों की न सिर्फ रात, बल्कि दिन भी सिसकते हुए गुजरा। मां-बाप से दूर एक मात्र भाई के सहारे हंस-खेल कर दिन गुजार रही इन नादान बहनों के सामने फिलहाल अंधेरा ही अंधेरा है। वह हर आने-जाने वालों से कभी पूछ रही है कि हमार भईया कहा बाड़न ? कही लउकलन ह ? तो कभी पूछ रही है कि मम्मी-पापा ना अइहन का ? भईया ऊह लो के लिआवे गइल बाड़न नू...? सवालों पर सवाल, फिर भी कोई जबाब न मिलने पर बहनें दहाड़े मारने लग जा रही है। गुरुवार को तो एक बहन की हालत रोते-रोते खराब हो गयी है, जिसका उपचार स्थानीय स्तर पर चल रहा है।
गौरतलब हो कि बुधवार को गंगा स्नान करते वक्त हल्दी थाना क्षेत्र के मझौवां गांव निवासी चचेरे भाई नीरज व आशीष की मौत डूबने से हो गयी थी। आशीष की मां रिंकी देवी व पिता ददन गोंड़ फिलहाल गुजरात में है। इकलौता भाई आशीष गांव पर अपनी तीनों बहनों की देख-रेख बड़ी जिम्मेदारी से करता था। गरीबी और बदनसीबी के तपते रेगिस्तां में भी खुशी से सफर करने वाली इन बहनों को भाई की मौत ने झकझोर कर रख दिया है। वह समझ नहीं पा रही है कि करें तो क्या करें। मम्मी-पापा तो दूर थे ही, विधाता ने उनके उस इकलौते भाई को छीन लिया है, जिसका 'आशीष' हमेशा उन्हें मिलता था।
अंजली, शिवांगी व अंशिका को यदि कोई सम्भाल रहा है तो वह है उनकी बूढ़ी दादी राजेश्वरी देवी। वह तीनों बहनों को जैसे-तैसे भरोसा दे रही है, लेकिन जिंदगी का लगभग 80 बसंत देख चुकी राजेश्वरी का धैर्य भी जबाब दे जा रहा है। बुधवार की रात तीनों बहनें दादी के पास ही सोई थी, लेकिन उनकी रात रोकर ही गुजरी। सुबह उनकी आंखें भाई को ही तलाशती नजर आई। वही, तीनों बहनों ने Lockdown की वजह से गुजरात में फंसे अपने मम्मी-पापा से बात भी की। तब भी लोगों ने उन्हें जैसे-तैसे संभाला, क्योंकि उधर से मम्मी-पापा रो रहे थे और इधर से उनकी बेटियां। दोनों तरफ से सिर्फ आशीष ही आशीष की आवाज आ रही थी। इस बीच तबीयत खराब होने पर शिवांगी का उपचार स्थानीय स्तर पर कराया जा रहा है।
हरेराम यादव
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