प्रतिभा को सलाम-03 : Lockdown में भारत का भविष्य कुछ यूं संवार रहे बलिया के ये शिक्षक

प्रतिभा को सलाम-03 : Lockdown में भारत का भविष्य कुछ यूं संवार रहे बलिया के ये शिक्षक


'इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं। हम वो सब कर सकते है, जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है, जो आज तक हमने नहीं सोचा।' आज उपरोक्त कथन को प्राथमिक शिक्षको ने ऑनलाइन शिक्षण की अलख जगा कर सत्य सिद्ध कर दिया है। जिन शिक्षकों को यह समझा जाता था कि बेसिक के शिक्षक तकनीकी रूप से समर्थ नहीं है, उन शिक्षकों ने निष्ठा प्रशिक्षण व मिशन शिक्षण संवाद तथा अन्य शैक्षिक समूहों के व्हाट्सप्प व फेसबुक ग्रुप से जुड़ कर अपने आप को स्मार्ट व समर्थवान बना लिया है। प्रस्तुत है ऑनलाइन शिक्षण की कहानी बलिया के शिक्षको की जुबानी...


इस महामारी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ शिक्षा जगत पर भी ग्रहण लग चुका है। शिक्षा जगत पर लगे ग्रहण को मिटाने के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा ऑनलाइन एजुकेशन की शुरुआत की गई। इसमें भी कठिनाइयां थी, क्योंकि जो सक्षम परिवार था वह तो अपने बच्चों को स्मार्टफोन की सहायता से ऑनलाइन एजुकेशन करा ले रहा था, लेकिन बेसिक शिक्षा से जुड़े बच्चे इस व्यवस्था से वंचित हो रहे थे। ऐसे में सबसे पहले मैंने कीपैड मोबाइल की सहायता से ही बच्चों को मैसेज द्वारा पढ़ाना शुरू की। फिर धीरे-धीरे मैंने अपने सहायक अध्यापक रिचा शुक्ला, शिक्षा मित्र सीमा सिंह, एसएमसी अध्यक्ष जयप्रकाश प्रसाद की सहायता से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया। पहले मैंने उस ग्रुप में आठ अभिभावकों को जोड़ा, तत्पश्चात सक्षम अभिभावकों से यह निवेदन किया कि जिन बच्चों के माता-पिता के पास स्मार्टफोन नहीं है, उनको भी अपने घर पर बुलाकर अपने स्मार्टफोन के मदद से उनकी मदद करें। उनसे कहां कि आज हमारा देश जिन परिस्थितियों से गुजर रहा है। ऐसे में हम सबको एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। लोग मेरी बातों से सहमत हुए और उन बच्चों को भी पढ़ने का मौका दिए। मैं इस व्हाट्सएप ग्रुप की सहायता से लगभग सभी बच्चों को नए-नए शिक्षण कार्य करवाती हूं। बच्चों को ऑडियो एवं वीडियो की सहायता से प्रतिदिन नई चीजें बताई जाती है। बच्चों को ड्राइंग एवं आर्ट और क्राफ्ट वीडियो की सहायता से बनाना सिखाया जाता है। आज यह ऑनलाइन एजुकेशन हमारे शिक्षा व्यवस्था की डूबती नैया का सहारा बन गया है। सबसे गर्व की बात है कि बच्चों के माता-पिता भी इस व्यवस्था को तहे दिल से स्वीकार कर रहे हैं। बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। 


                          अन्नू सिंह


अन्नू सिंह, प्रधानाध्यापिका

प्रावि बघेजी
शिक्षा क्षेत्र-हनुमानगंज



प्रसुति अवकाश पर होने के कारण शिक्षण और बच्चों से मेरा कनेक्शन लगभग कमजोर पड़ चुका था। वैसे में Online classes की  सुचना ने मेरे अन्दर एक नवीन उर्जा संचरित कर दी। मैने अपने शैक्षिक वीडियोज बनाने शुरु किये तथा उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर करना शुरु किया, जिसका लाभ तमाम शिक्षक और बच्चे ले रहें हैं। कई शिक्षकों के मैसेज मुझे प्राप्‍त हो रहें है कि उन्हें मेरी क्लासेस से फायदा मिल रहा है। यूं तो मैं पहले से भी शैक्षिक यू ट्यूब चैनल और फेसबुक पेज के माध्यम से अपनी शैक्षणिक गतिविधियां लोगों तो पहुंचाने के लिये क्रियाशील थी। इसके बेहतर परिणाम मुझे मिलते रहे हैं। वैश्विक महामारी कोेेरोना के दौर में आनलाइन क्लासेज बेपटरी हुई शिक्षा को पटरी पर लाने की कोशिश के साथ साथ हम शिक्षकों के प्रोफेशनल डेवलपमेंट तथा बच्चों में तकनीकी क्षमता के विकास का आधार भी बन रही हैं। मैं अगर ये कहूं कि ये व्यवस्था बेसिक को बदलने में पूरी तरह सक्षम है तो ये झूठ होगा, लेकिन हां ये एक कारगर प्रयास जरुर है और प्रयास ही तो हैं जो एक न एक दिन मुकाम तक पहुंचा ही देंगे। इसी प्रयास कि कड़ी में हमारे विद्यालय का WhatsApp ग्रुप बनाया गया है, जहां सअ अजय कुमार तथा प्रअ श्रीमती वृन्दादेवी द्वारा गतिविधियां व होमवर्क अभिभावकों तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। जो अभिभावक आनलाइन नहीं जुड़ पाये हैं, उनसे टेलिफोनिक जुड़े रह कर उन्हें कोरोना अवेयर करने के साथ ही आनलाइन Education से जुड़ने के लिये प्रेरित कर रहे हैं। हम सभी निरन्तर प्रयास में हैं कि इस ग्रुप से अधिक से अधिक अभिभावकों को जोड़ा जा सके, ताकि अधिक से अधिक बच्चे लाभान्वित हो सकें।


           श्वेता सिंह


श्वेता सिंह, सअ

प्रावि हरिहर नगर
शिक्षा क्षेत्र-बेरुआरबारी



Lockdown में सभी विद्यालय बंद होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था। इसी बीच, शिक्षा क्षेत्र गड़वार के उच्च पदाधिकारियों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई कराने के लिए निर्देशित किया गया। फिर मैंने प्रधानाध्यापक सत्यदेव यादव के सहयोग से अभिभावकों से सम्पर्क कर उनके मोबाइल नंबर एकत्रित किया। विद्यालय का व्हाट्सप्प समूह बनाया, जिसमें यथा संभव बच्चों को जोड़ कर प्रतिदिन पठन-पाठन का कार्य आरंभ किया। बच्चों को प्रतिदिन विषयवार पाठ योजनाबद्ध कुछ रोचक तथ्यों द्वारा शिक्षण कार्य किया जा रहा है। गृहकार्य का प्रतिदिन अवलोकन करके त्रुटियों और समस्याओं का समाधान किया जाता है। वाट्सअप पर किये गये कार्यों का स्क्रीन साट लेकर, चेक करने के पश्चात दुबारा बच्चों को प्रेषित किया जाता है, जिसे गलतियों का निवारण हो सकें। कभी-कभी वीडियो कॉल करके भी उनको पढ़ाया व समझाया जाता है। उत्साहवर्धन के लिए voice clip द्वारा बच्चों को कुछ रोचक तथ्यों द्वारा मनोरंजन के लिए अंग्रेजी, हिंदी क़ी कविताओं को भी प्रेषित किया जाता है। कहानियां सुनाई जाती है। आज मैं अपने प्रधानाध्यापक व अध्यापक के सहयोग से यथासंभव ऑनलाइन क्लास चलाने में सफल हूं।ई-सामग्री हेतु दीक्षा ऐप, मिशन अभ्यूद (e- poster aap) व ई-पाठशाला समूह का सहयोग लेकर इस विषम परिस्थिति में भी बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा सुचारू रुप से प्रदान कर पा रहा हूं।


                     दयाशंकर यादव 

दयाशंकर यादव, सअ
प्राथमिक विद्यालय वनकटा, बंगला
शिक्षा क्षेत्र-गड़वार 


संकलन : नन्दलाल शर्मा
प्रधानाध्यापक 
प्राथमिक विद्यालय तेतरा, सीयर बलिया

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