Mumbai से पैदल ही घर पहुंचा युवक, लेकिन नहीं मिली इंट्री ; फिर...
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वाराणसी। अशोक ने सोचा भी नहीं होगा कि जिनके आसरे उसने 1600 किलोमीटर की दूरी पैदल ही नाप रहा है, वही मुंह फेर लेंगे। चौक थाना क्षेत्र के दीनानाथ गोला निवासी अशोक सेंट्रल मुंबई नागपाड़ा के एक होटल में काम करता था, लेकिन लॉकडाउन होने के कारण होटल बंद हो गया। अशोक के पास कोई विकल्प नहीं बचा और ऐसे समय में घर जाने की इच्छा प्रबल हो गयी।
अशोक के पास कोई साधन ऐसा नहीं मिला कि वो वाराणसी पहुंच सके। ऐसे में अशोक ने हिम्मत नहीं हारी और पैदल ही निकलने की ठान ली। वहीं साथ में काम करने वाले कुछ दोस्त भी थे जो साथ घर की तरफ निकल पड़े। लंबा सफर और रास्ते बहुत कठिन थे लेकिन मरता क्या न करता। कदम बढ़ते गए और अंततः अशोक और उसके साथी वाराणसी पहुंच गए। वाराणसी पहुंचने पर सबसे पहले अशोक मण्डलीय अस्पताल पहुंचा जहां काफी देर तक घूमता रहा लेकिन कोई जांच नही होने पर पैदल ही दीनदयाल अस्पताल पहुंच गया।दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में जांच के बाद युवक को 15 दिन तक घर में रहने की सलाह देकर छोड़ दिया गया। जांच के बाद घर पहुंचा तो घरवालों ने अंदर से ताला बंद कर लिया और घर में घुसने से मना कर दिया। फोन से संपर्क करने पर अशोक ने बताया कि अब समझ में नही आ रहा है क्या करुं। वहां से हताश होकर अशोक कतुआपुरा अपनी नानी के घर जाने के लिए निकल पड़ा।दरसल परिजनों को डर था कि अशोक कहीं मुम्बई से कोरोना वायरस लेकर न आया हो और घर वालों को ही संक्रमित कर दे।
मुम्बई से निकले पांच दोस्त
अशोक ने बताया कि मुम्बई से अपने पांच दोस्तों के साथ पैदल ही सब निकल पड़े। रास्ते मे कहीं कुछ मिल जाता उसी से पेट का काम चलता गया। अशोक ने बताया कि बाकी के सभी रामनगर और मुगलसराय के रहने वाले हैं वो सब अपने अपने घर चले गए। अशोक को अब इस बात की चिंता है कि 1600 किलोमीटर चलकर घर आने की उम्मीद ने बहुत तकलीफ दिया है और मां ने भी दरवाजा नही खोला और बड़े भाई की पत्नी ने घर में घुसने से साफ मना कर दिया।
पुलिस लेकर पहुंची घर तो खुला दरवाजा
अशोक केशरी 21 दिन तक लगातार मुंबई से पैदल आने के बाद घर गया तो घरवाले कोरोना की महामारी के साथ ही पुलिस के डंडे से भी डरे थे। भाई कल्लू ने बताया कि अगर घर मे रख लेते तो पुलिस उसको भी ले जाते और घरवालों पर मुकदमा भी हो जाता। कोतवाली इंस्पेक्टर महेश पांडेय ने बताया कि उसकी रिपोर्ट निगेटिव आ गयी तो शाम 6 बजे पुलिस के साथ अशोक को घर भेजकर दरवाजा खुलवाया गया और घरवालों को ऊपर के एक कमरे में अलग रखने की हिदायत दी गई। घर पहुंचकर अशोक ने राहत की सांस ली।
Tags: वाराणसी
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