बलिया समेत 20 जिलों में डीबीटी के लाभ-हानि का मूल्यांकन करेगा TISS
लखनऊ : प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को मिलने वाले डीबीटी के फायदे व नुकसान का थर्ड पार्टी मूल्यांकन टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) से कराया जायेगा। विभाग ने मूल्यांकन के लिए 20 जिलों का चयन किया है, जिसमें
लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, गोंडा, सहारनपुर, बिजनौर, मेरठ, अलीगढ़, आगरा, शाहजहांपुर, कानपुर नगर, बांदा, झांसी, बस्ती, प्रयागराज, गोरखपुर, बलिया, मिर्जापुर, वाराणसी व बुलंदशहर शामिल है। इन जिलों के 20-20 विद्यालयों को चिंहित किया गया है।
गौरतलब है कि परिषदीय छात्र-छात्राओं को यूनिफार्म, जूता-मोजा, बैग, स्वेटर तथा स्टेशनरी के लिए डीबीटी के माध्यम से सरकार 1200 रुपये प्रति छात्र देती है। यह धनराशि छात्र-छात्राओं के माता-पिता/अभिभावकों के आधार सीडेड बैंक खाते में अन्तरित की जाती है। संचालित डीबीटी प्रक्रिया का समग्र एवं निष्पक्ष मूल्यांकन (Impact Study) टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइन्सेज (TISS) के माध्यम से करायी जानी है।
टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) द्वारा 7 नवम्बर से 15 दिसम्बर 2023 तक की अवधि में चिंहित जनपद के 20-20 विद्यालयों का चयन कर प्रत्येक विद्यालय से 05 अभिभावक, 01 अध्यापक, प्रधानाध्यापक, विद्यालय प्रबन्ध समिति के एक सदस्य से आंकड़े एवं सूचनायें प्राप्त किए जायेंगे। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने संबंधित बीएसए को मूल्यांकन के निमित्त किए जाने वाले सर्वे में टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) की टीम को अपेक्षित सहयोग प्रदान करने का निर्देश दिया है।
1. विद्यालय में नामांकित सभी छात्र-छात्राओं को डीबीटी का लाभ प्राप्त हुआ है ?
2. विद्यालयों में अध्ययनरत् छात्र-छात्राओं को डीबीटी की धनराशि प्राप्त हुयी तथा प्राप्त धनराशि से बच्चों हेतु सामग्री का क्रय किया गया है या नहीं ?
3. अभिभावकों के खाते में धनराशि प्राप्त होने के एक माह के अन्दर छात्र-छात्राओं हेतु सामग्री का क्रय किया गया है ?
4. डीबीटी के बारे में शिक्षकों, अभिभावकों एवं एसएमसी सदस्यों के क्या विचार है ?
5. डीबीटी प्रक्रिया में क्या-क्या सुधार की आवश्यकता है?
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