प्रतिभा को सलाम-09 : Online शिक्षा को बलिया के इन शिक्षकों ने यूं दी उड़ान
On
बलिया। मुसीबतों से भागना, नयी मुसीबतों को निमंत्रण देने के समान है। जीवन में समय-समय पर चुनौतियों एवं मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, यही जीवन का सत्य है। एक शांत समुन्द्र में नाविक कभी भी कुशल नहीं बन पाता, शायद यही बातें सोच कर इस महामारी के समय में भी कुछ शिक्षकों ने बच्चों से जुड़े रहने के लिए ऑनलाइन शिक्षण को अपनाया और सफल भी हो रहे है। प्रस्तुत है ऑनलाइन क्लास की कहानी बलिया के शिक्षकों की जुबानी...
आज के इस दौर में जहां तकनीक और विज्ञान के दम पर विश्व जीता जा सकता है, वही कोरोना जैसी महामारी ने हमें कई साल पीछे कर दिया है।वक़्त को रोक दिया है। कहते हैं रुका हुआ पानी भी कुछ वक्त बाद सड़ने लगता है। इसलिए इस रुकाव का गलत प्रभाव हमारी शिक्षा व्यवस्था पर न पड़े, उसी के चलते हम शिक्षकों ने तकनीकी का प्रयोग अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए किया है।अच्छी बात ये है कि जिस तकनीक को माध्यम बनाया गया है, उसका प्रयोग सीखने सिखाने की आवश्यकता ही नहीं है। मोबाइल व इंटरनेट के उपयोग से शिक्षण सामग्री को बड़ी ही सरलता से अनेक बच्चों तक तुरंत उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे बच्चे बिना विद्यालय आये भी ज्ञान प्राप्त कर सकें। बच्चे अपनी समस्याएं भी हम शिक्षकों से पूछ सकते हैं। मोबाइल को केवल मनोरंजन का साधन न बनाते हुए उसका सदुपयोग भी सीख रहे हैं। हम बेसिक के शिक्षक आज दूरस्थ शिक्षा व्यवस्था को अपनाकर अपने बच्चों को हर प्रकार से ज्ञान देने के लिए तत्पर हैं। बच्चे भी ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था का लाभ ले रहे हैं। बस एक प्रयास जो हम सभी को करना है, कि जैसे मुफ्त राशन हो या आतंकी खबरें, जो पलक झपकते ही एक इलाके से दूसरे इलाके पहुंच जाती हैं, उसी प्रकार सरकार और हम शिक्षकों के प्रयासों की ज्ञान गंगा भी जन जन व बच्चे तक पहुंचे और वो भी उसका लाभ लें। अंत में बस इतना ही...
'ना छूटे कोई इलाका, हर ओर हो ज्ञान का धमाका, हर बच्चे की पहचान हो, जिससे शिक्षक का नाम हो।'
दीक्षा
दीक्षा, सअ
उप्रावि बेरुआरबारी
शिक्षा क्षेत्र-बेरूआरबारी
मेरे लिए बच्चों को शिक्षा देना हमेशा चुनौती भरा रहा है। चाहे वह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन हो। इसका कारण है मेरे विद्यालय एकल होना, पर मैने हमेशा से चुनौतियों को स्वीकारा है और बहुत हद तक सफल भी हूं। कोरोना के चलते जब विद्यालय बंद हुआ और ऑनलाइन क्लास संचालन का आदेश आया तो मैंने भी व्हाट्सप्प ग्रुप बनाया व ग्रुप के माध्यम से पाठ्य सामग्री प्रेषित करने लगा।मेरे विद्यालय के कुल नामांकन 165 है, जबकि WhatsApp ग्रुप से अध्ययनरत छात्र संख्या 120 है।
डा. सुनिल कुमार गुप्त
डा. सुनिल कुमार गुप्त, प्रअ
प्राथमिक विद्यालय वजीरापुर
नगर क्षेत्र, बलिया
कोरोना महामारी से देशव्यापी लॉकडाउन जारी है। सभी विद्यालय बंद है। इस संकट के समय में बच्चों की शिक्षा बाधित न हो, इसके लिए मेरे विद्यालय परिवार ने WhatsApp के माध्यम से शिक्षण कार्य करने का प्लान किया। सर्वप्रथम मैंने अभिभावक तथा बच्चों से संम्पर्क कर WhatsApp ग्रुप बनाया। ग्रुप के माध्यम से प्रतिदिन प्रत्येक विषय पढ़ाने के साथ-साथ गृहकार्य दिया जाता है। अगले दिन जांच कर पुनः ग्रुप में भेजा जाता है। वीडियो क्लिप के माध्यम से इसे रुचिकर बनाने का प्रयास करता हूं। मिशन ई प्रेरणा एवं दीक्षा एप्प के अंतर्गत जो भी शैशिक सामग्री हो ग्रुप पर साझा करता हूं। अभिभावक और बच्चों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।
राजू गुप्ता
राजू गुप्ता, प्रअ
प्रावि हप्ता ताड़ीबड़ागांव
शिक्षा क्षेत्र-नगरा
संकलन : नन्दलाल शर्मा
प्रधानाध्यापक
प्राथमिक विद्यालय तेतरा, सीयर बलिया
प्राथमिक विद्यालय तेतरा, सीयर बलिया
Tags: बलिया
Related Posts
Post Comments
Latest News
योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई : एसडीएम सस्पेंड, 11 दिन पहले गिरफ्तार हुआ था पेशकार
14 Dec 2024 06:32:49
सुलतानपुर : उप जिलाधिकारी जयसिंहपुर संतोष कुमार ओझा को शासन ने निलंबित कर दिया है। दो दिसंबर को उनके न्यायालय...
Comments