‘जश्ने बचपन’ ने कभी रूलाया तो कभी गुदगुदाया

‘जश्ने बचपन’ ने कभी रूलाया तो कभी गुदगुदाया


-बापू भवन के मंच पर नौनिहालों ने बिखेरा अपने फन का जादू

बलिया। सोमवार को देर शाम बापू भवन के सभागार में बच्चों की प्रतिभा निखर कर सामने आई। अभिनय ,नृत्य और गायन की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति से बच्चों ने बड़ों का दिल जीत लिया । अवसर था संकल्प, साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा चलाये जा रहे 25 दिवसीय समर कैंप का समापन का। इसी  लिहाज से बच्चों की प्रतिभा प्रदर्शन हेतु जश्ने बचपन कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों द्वारा एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की गई । कार्यक्रम की शुरुआत जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार डा.  जनार्दन राय,  पर्यावरणविद डा. गणेश पाठक , प्रोफेसर यशवंत सिंह , डा.  राजेंद्र भारती ,पंडित ब्रजकिशोर त्रिवेदी, सनबीम स्कूल के प्रबंधक डा. अरुण सिंह , श्रीमती शालिनी श्रीवास्तव एवं डा.कादम्बिनी सिंह ने दीप प्रज्वलन कर किया।  इसके बाद बच्चियों द्वारा  महिला सशक्तिकरण एवं स्वतंत्रता पर केन्द्रित झांकी प्रस्तुत की गयी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।

इसके बाद सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई। एक के बाद एक दमदार प्रस्तुति से बच्चों ने दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी और उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन करते हुए खूब हंसाया,  गुदगुदाया और रुलाया भी। कई बार ऐसे मौके आए जब दर्शकों ने जमकर ठहाके लगाए तो रुमाल से अपनी आंखें के आंसू भी छुपाते नजर आए। दर्शकों से खचाखच भरे बापू भवन के हाल में रह रह कर तालियां बजती रहीं। वैसे तो बच्चों द्वारा प्रस्तुत सभी कार्यक्रमों को दर्शकों की भरपूर सराहना मिली, लेकिन गिलहरी,  रोड सेफ्टी, औरतें, सदाचार का ताबीज, केमिकल गैस इफेक्ट और नुक्कड़ शैली में प्रस्तुत नाटक कुछ हम बदलें कुछ तुम बदलो बेहद खास रहे। नृत्य में डांडिया, ‘घर मोरे परदेसिया’, ‘स्वैग से करेंगे सबका स्वागत’  और बाल श्रम पर आधारित थीम डांस लोगों को बहुत प्रभावित किया।  गायन में  ‘वक्त का यह परिंदा रुका है कहां चार पैसे कमाने शहर में चला गांव मुझको मेरा याद आता रहा’ सबको भाव विभोर कर दिया। 25 दिनों तक इन बच्चों को प्रशिक्षित करने तथा उन्हें बेझिझक मंच पर खड़ा कर उनकी प्रतिभा को प्रदर्शित कराने में युवा रंगकर्मी व कोरियोग्राफर सोनी, रंगकर्मी ट्विंकल गुप्ता, रंगकर्मी अर्जुन कुमार रावत, संगीत प्रशिक्षक  संतोष शर्मा की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही।

साथ में रोहित, राहुल, अभिषेक और संजय मौर्य की भूमिका सराहनीय रही।  जश्ने बचपन में साहित्यकार रामजी तिवारी, समीर पांडे शाहनवाज खान, प्रीति पांडेय, सपना पांडेय, मोहन जी श्रीवास्तव,  पत्रकार अशोक जी, भोला प्रसाद आग्नेय, डाक विभाग के मंडला अध्यक्ष मनीष कुमार, अजीत पाण्डेय, कौशल कुमार उपाध्याय, डा. इफ्तिखार खांन, अनिल पाण्डेय, धनन्जय राय, प्रशांत सिंह, आनन्द कुमार चौहान, गोविंदा इत्यादि की गरिमामयी उपस्थिति रही। जिन बच्चों ने जश्ने बचपन में प्रतिभाग किया उनमें आर्यन, दीपक, अमितेश ,आर्यन देव, वीर, प्रकृति, संस्कार, अनन्या, श्रेयसी, सौम्या, सुप्रिया, स्नेहा, सानवी, सगुन, सगुन ओझा, मिताक्षरा, सृष्टि, श्रेया, पार्थ, आराध्य, संदीप, आराध्या पाण्डेय, अर्नव, आराध्या ओझा, वेदांश, नायसा, स्पृहा इत्यादि 70 बच्चों ने प्रतिभाग किया। जश्ने बचपन कार्यक्रम का  संचालन पार्थ ओझा ने किया। जबकि आभार संजय कुमार मौर्य ने व्यक्त किया। संकल्प की ओर से सभी प्रशिक्षकों को प्रतीक चिह्न तथा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।


By-Ajit Ojha

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