बलिया में शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी का ऐसे जताया विरोध, जिलाध्यक्ष का दो टूक

बलिया में शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी का ऐसे जताया विरोध, जिलाध्यक्ष का दो टूक

बलिया : उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षकों की निष्ठा पर सवाल खड़ा करते हुए प्रदेश सरकार ने अपने मातहतों द्वारा ऑनलाइन उपस्थिति देने का आदेश जारी कर रखा है। शिक्षकों की तार्किक मांगों एवं विद्यालय की भौतिक स्थिति को नजरंदाज कर डिजिटाइजेशन की बात पर विभाग आमादा है, जिसका विरोध प्रदेश के लगभग सभी शिक्षक संगठन अपने अपने तरीके से कर रहे हैं।

बिशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उप्र के प्रांतीय अध्यक्ष संतोष तिवारी के आह्वान पर सोमवार से 14 जुलाई तक काली पट्टी बांध कर शिक्षण कार्य करने का निर्णय लिया गया। इसके क्रम में प्रदेश के साथ जनपद-बलिया के शिक्षकों ने अपने अपने विद्यालय में आफलाइन उपस्थित रहते हुए बांह में काली पट्टी बांध कर शिक्षण कार्य किया।

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जिलाध्यक्ष डॉ. घनश्याम चौबे ने कहा यह सिलसिला अनवरत 14 जुलाई तक चलेगा। यदि सरकार/विभाग फिर भी इस काले कानून को वापस नहीं लेती तो आगामी 15 जुलाई को प्रदेश के प्रत्येक जनपद के जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर विरोध जताया जाएगा और जिलाधिकारी/जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा।

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डॉ. चौबे ने कहा कि प्रान्तीय नेतृत्व के आह्वान पर संघर्ष के प्रथम चरण में जनपद के समस्त शिक्षक साथियों ने एकजुटता दिखाते हुए बांह पर काली पट्टी बांधकर डिजिटलाइजेशन जैसे काले कानून का विरोध किया है। समस्त शिक्षक संगठित होकर प्रतिकार करेगा व चरणबद्ध निर्णायक संघर्ष कर इस काले कानून के वापस होने तक विरोध करेगा।

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अनिल सिंह अध्यक्ष चिलकहर ने कहा कि डिजिटलाइजेशन जैसा अविवेकपूर्ण काला कानून मानवीय मूल्यों को दरकिनार कर लाया गया है।वातानुकूलित वातावरण के आदी हो चुके नौकरशाही को विविधताओं व यथार्थ जटिलताओं का वास्तविक ज्ञान नहीं है। प्रान्तीय नेतृत्व के निर्देश के क्रम में चरणबद्ध रूप से काला कानून वापसी तक हमारा विरोध चलता रहेगा।
अरविन्द श्रीरष्मि अध्यक्ष रेवती ने कहा कि बिशिष्ट बी.टी.सी. शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उप्र डिजिटाइजेशन को लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंच चुका है, फिर भी इस प्रकरण पर सरकार और विभाग द्वारा कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। 


मंत्री धीरज राय ने कहा कि मानविकी को किसी भी दशा में यांत्रिक नहीं किया जा सकता है। यथार्थ जटिलतओं, विविधताओं व मानवीय मूल्यों को नकार कर अव्यवहारिक आदेश नहीं थोप जाना चाहिए। हम सभी शिक्षक संगठित होकर इस काल कानून का विरोध करेंगे।
उपेन्द्र नरायण सिंह अध्यक्ष मनियर ने कहा कि इस अव्यवहारिक कानून का हम सभी मिलकर इसके वापसी तक विरोध दर्ज कराएंगे।

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