जज्बे को सलाम : कोरोना से जंग की कहानी, बलिया में तैनात युवा IAS की जुबानी
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बलिया। माना कि कोरोना रूपी अदृश्य दुश्मन का तनाव बहुत है। जंग भी मुश्किल है। लड़ाई लंबी व चुनौती पूर्ण भी है, लेकिन इस जंग से लड़ने के लिए हमारी तैयारियां भी मुकम्मल हैं। करीब 35 लाख की आबादी वाले बलिया जनपद के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी पहली प्राथमिकता है। जब हम सर्विस ज्वाइन करते हैं तो देश सेवा के साथ जनसेवा का भी संकल्प लेते हैं। अपनी कार्यकुशलता व क्षमता कों साबित करने का सबको मौका मिलता है। शायद मेरे लिए उस संकल्प को सिद्ध करने का यह सही समय था। हमें लगा कि हम इस जंग में अपनी पूरी क्षमता का सर्वोत्तम प्रयोग कर सकते हैं।
सम्पूर्ण लॉक डाउन घोषित होने के बाद परिस्थितियां बहुत तेजी से बदल रहीं थीं। ऐसे में रुट लेवल पर कार्य करने की दरकार थी। एमबीबीएस करने के दौरान विभिन्न प्रकार की महामारी और उससे निपटने की जो जानकारी मिली थी, उसे किसी कीमत पर जाया नहीं करना चाहता था। शुरुआत के दो-तीन दिनों तक मैं अपनी अर्धांगिनी (धर्मपत्नी) ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अन्नपूर्णा गर्ग से तात्कालिक परिस्थितियों पर गहन मंत्रणा करता रहा। अंततः हम दोनों ने इस लड़ाई में अपनी क्षमता का व्यापक हित में प्रयोग करने का निर्णय लेकर कदम बढ़ा दिए। अपनी इच्छा से जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही को अवगत कराया। उन्होंने न सिर्फ इसे स्वीकार किया, बल्कि डीएम सर ने 50 लोगों की आपदा राहत टीम गठित कर उसका नेतृत्व भी सौंप दिया। फिर क्या था, सोच को मूर्त रूप देने की कवायद में जुट गए और उसका परिणाम सबके सामने हैं।
किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार
पहली बार इस तरह की स्थिति पैदा हुई है। सम्पूर्ण लॉकडाउन के प्रथम चरण का 21 दिन बीत चुका है। द्वितीय चरण का भी चार दिन गुजर गया है। वाकई यह बहुत बड़ी लड़ाई है। मेरे अब तक के कॅरियर का यह सबसे चुनौतीपूर्ण माहौल है। अदृश्य दुश्मन के खिलाफ शुरु की गई जंग की जिम्मेदारी मिलने के बाद हम चौतरफा तैयारियों में जुट गए। हर आने-जाने वालों की जानकारी रखना जहां जरूरी था, वहीं मेडिकल फ्रंट पर डटे रहना और मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करना भी आवश्यक था। इसके संक्रमण को रोकना प्राथमिकता थी तो वहीं चिकित्सक व पैरा मेडिकल स्टॉफ की सुरक्षा के लिए मूलभूत सुविधाएं जुटाना भी एक चुनौती थी। बहरहाल डीएम सर की पहल से अगले एक सप्ताह में हम पूरी तरह से तैयार हो गए। जिला मुख्यालय पर 30-30 बेड के दो अस्पताल तैयार हैं, जिसमें सभी सुविधाएं मौजूद हैं, इसके साथ दो दर्जन सदस्यों के साथ दो चिकित्सकीय दल भी पूरी मुस्तैदी से जुटा है।
टीम सदस्यों का मिला पूरा सहयोग
कोविड-19 के खिलाफ मुकम्मल तैयारी की है। मसलन गैर प्रान्त व जिले के अलावा विदेश से लौटे प्रत्येक व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी इकट्ठा करना, उनकी स्कैनिंग करना ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न हो। इस अभियान को सफल बनाने में आपदा राहत टीम के प्रत्येक सदस्य ने अपना सर्वोत्तम योगदान दिया। जिलाधिकारी का निर्देश संग सीएमओ व सीएमएस से परिचर्चा के साथ सहयोगियों की मेहनत से नित नई ऊर्जा मिलती गयी और यह कारवां बढ़ता गया।
जन समर्थन ने बढ़ाया उत्साह
बेशक, लड़ाई कठिन है लेकिन जनसहयोग व अधिकारियों के मार्गदर्शन ने काम आसान कर दिया है। हां मेरी दिनचर्या जरूर प्रभावित हुई है। देर रात तक काम, उसके बाद सुबह जल्दी उठना, तैयारियों की समीक्षा, मीटिंग व कंट्रोल रूम पर बारीक नजर भी रखनी पड़ती है। इस लड़ाई में अब तक जो भी सफलता मिली है, उसमें जनता का सहयोग बेहद सकारात्मक रहा है।
अगला दो सप्ताह ज्यादा महत्वपूर्ण
हमें तीन मई तक दो फ्रंटों पर मुख्य रूप से काम करना है। पहला कोविड की तैयारियां विभिन्न स्तरों पर पूरी कर लेनी है। जिसकी प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही जिला अस्पताल में आईसीयू व वेन्टीलेटर्स की सुविधा शुरू हो जाएगी। वहीं दूसरा प्रमुख लक्ष्य लॉकडाउन के दौरान डोर-टू-डोर सर्वे का काम पूरा कर लेना है। इसके लिए जिले में 63 टीमें लगाई गई हैं। अब तक नौ लाख के आसपास लोगो का सर्वे किया भी जा चुका है।
बस इतनी सी है गुजारिश
सभी जानते हैं कि कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय सामाजिक व शारीरिक दूरी (सोशल डिस्टेंस) है, बावजूद लोग इसका उल्लंघन कर रहे हैं। यहां तक कि गैर जनपद, प्रांत व मुल्क से लौटे लोग अपनी जानकारी नहीं दे रहे हैं। जो आत्मघाती साबित हो सकता है। उनकी यह लापरवाही उनके अपनो पर ही भारी पड़ सकती है। कोविड-19 कलंक नहीं अपितु बीमारी है। जिसे छुपाकर हराया नहीं जा सकता। इसका एकमात्र उपचार सतर्कता व जागरुकता है। लिहाजा जनपदवासियों से यही गुजारिश है कि कोई भी सूचना छिपाए नहीं हमसे अवश्य शेयर करें।
डॉ. विपिन कुमार जैन IAS ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व आपदा राहत टीम प्रभारी, बलिया
डॉ. विपिन कुमार जैन IAS ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व आपदा राहत टीम प्रभारी, बलिया
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