बलिया : कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं के लिए खास सुझाव
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बलिया। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम व जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं के लिए सभी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह नि:शुल्क हैं। गर्भवती महिलाओं, प्रसूताओं एवं एक वर्ष तक के बीमार शिशुओं को घर से अस्पताल, अस्पताल से घर के अलावा उच्च अस्पतालों में रेफर करने जैसी सभी स्थितियों के लिए 102 एम्बुलेंस सेवा बिल्कुल नि:शुल्क है। प्रसव के लिए अस्पताल आयीं सभी गर्भवती महिलाओं के लिए भर्ती रहने तक नाश्ता एवं दो समय के भोजन की व्यवस्था नि:शुल्क है। इसके अलावा योजना के तहत पंजीकृत गर्भवती को गर्भावस्था से लेकर प्रसव के दौरान या प्रसव के बाद में जरूरत पड़ने पर नि:शुल्क ब्लड की व्यवस्था का प्रावधान है। गृह आधारित शिशु की देखभाल कार्यक्रम (एचबीएनसी) के तहत आशा कार्यकतार्ओं द्वारा प्रसव उपरांत माँ बच्चे की स्वास्थ्य देखभाल के लिए नियमित फॉलोअप किया जाता है।यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिछिका डॉ० सुमिता सिन्हा ने दी।
उन्होंने बताया क़ी गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सबसे ज्यादा देखभाल और सावधानी की जरूरत होती है। इस दौरान उनके खानपान और जिस तरह की जीवनशैली का पालन करती हैं, उसका सीधा असर उसकी गर्भावस्था और पेट में पल रहे शिशु पर पड़ता है। उनका कहना है कि कोविड-19 ने हर व्यक्ति के जीने का तरीका पूरी तरह से बदल दिया है। देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। गर्भवती महिलाओं को इसका खतरा अधिक रहता है, ऐसे में मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, बार बार साबुन से हाथों को धोना,इस वायरस से बचने का सबसे कारगर तरीका है। डॉ. सिन्हा का कहना है कि हर गर्भवती को समय-समय पर स्वास्थ्य जांच एवं चिकित्सकीय परामर्श की आवश्यकता होती है, लेकिन कोरोना के इस दौर में गर्भवती का घर से बाहर निकलना और अस्पताल जाना खतरे से खाली नहीं है। बहुत जरूरी हो तभी अस्पताल जाएं। ऐसे में सरकार एवं विभाग द्वारा टीबी, रेडियो, अखबारों व अन्य माध्यमों से बतायी जा रही सावधानियों एवं सुझावों को ध्यान से सुनें और उनका पालन करें । नियमित रूप से अपने हाथों की सफाई करें। आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के अलावा अपने चिकित्सक से घर पर स्वच्छता के तौर-तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। मौसमी फल, हरी सब्जी खासकर पत्तेदार, दूध, दही, गुड़ चना, दलिया व पोषाहार को अपने दैनिक भोजन में शामिल करें। यदि गर्भावस्था को लेकर किसी भी तरह की चिंता में है, तो फोन पर अपने क्षेत्र की आशा, एएनएम या प्रसूति विशेषज्ञ से संपर्क कर सकती हैं। हार्मोनल बदलावों के कारण गर्भवती के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। ऐसे में उनमें तनाव, डिप्रेशन, चिंता, गुस्सा, घबराहट, एकाग्रता की कमी आदि आम समस्याएं बन जाती हैं। इसलिए इस दौरान उन्हें अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखने की आवश्यकता है।
इस दौर में गर्भवती रखें यह सावधानियां
-सोशल डिस्टेसिंग और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।
-गरारे करें, गरम पानी का भाप लें और गुनगुना पानी पिएं।
-पर्याप्त पोषण लें और आहार में तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ाएं।
-अस्पताल जायें तो सतर्क रहें और आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करें।
-दिन में दो घंटा व रात में सात से आठ घंटे की नींद लें।
-खाली समय में किताब पढ़ें या संगीत सुनें।
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