युवा रहनुमा करें विकास पुरुष की घोसी का नेतृत्व

युवा रहनुमा करें विकास पुरुष की घोसी का नेतृत्व


रसड़ा (बलिया)अभी तक घोसी लोकसभा का राजनीतिक समीकरण काफ़ी हद तक जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्र-विशेष, आर्थिक स्थिति इत्यादि पर ही आधारित रहा है और मौजूदा चुनाव को लेकर भी तमाम कसमे-वादे इन्ही मुद्दों के आसपास दिखाई दे रहा हैं।
अखण्ड भारत न्यूज़ संवाददाता ने समाजसेवी अवधेश कुमार सिंह से पूछा घोसी लोकसभा सांसद कैसा रहेगा उन्होंने बताया कि सांसद चुनने की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर चाहिए शिक्षित होना, क्योंकि जब हमारा सांसद शिक्षित होगा तभी वो अपने और जनता के अधिकारों के बारे में अच्छी तरह जान पायेगा, वरना इस देश के राजनैतिक इतिहास में निरक्षरों के हाथ में भी सत्ता की बागडोर जा चुकी है जिसका परिणाम वहां की जनता आजतक भुगत रही है ।

हमारा सांसद जाति-धर्म, क्षेत्र जैसे परंपरागत मुद्दों के बजाय एक आदमी के रोजमर्रा के जीवनशैली को प्रभावित करने वाले कारकों जैसे रोटी-कपड़ा-मकान के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार मुहैया कराने की ज़िम्मेदारी लेने का भी वादा करे । हमारे सांसद अपने चुनावी घोषणापत्र में बड़े-बड़े लोकलुभावन वादों जैसे लैपटॉप, टैबलेट की बजाय समाज के सभी वर्गों जैसे महिलाओं से लेकर बुज़ुर्गों तक, बच्चों से लेकर युवाओं तक, दलितों से लेकर अल्पसंख्यकों तक, सभी के समावेशी विकास की वकालत करता हो ।

पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य मंजू सिंह ने अखण्ड भारत न्यूज़ संवाददाता से  बातचीत में बतलाया  कि हमारा सांसद वही बने जो किसी भी प्रकार के अपराधिक मामलों, भ्रष्टाचार से दूर हो ताकि संसद में 'बाहुबलियों','दागियों' को प्रवेश ना मिले । हमारे सांसद को अपने क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक तथा भौगोलिक परिवेश का वास्तविक ज्ञान हो अर्थात् वह इन सब से जमीनी स्तर से जुड़ा हुआ हो । इसलिए इस बार सबसे पहले तो हमें राजनीति को हिक़ारत की नज़रों से देखना बंद करना होगा ।

नगर के वस्त्र ब्यवसायी टिल्लू अग्रवाल  जी का कहना है कि  भारत दुनिया का सबसे युवा देश है, लेकिन राजनीति से युवाओं का मोहभंग हो गया है, ऐसा जनप्रतिनिधियों के अपेक्षा-आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतरने के कारण है। सांसद का जनता से जुड़ाव जरूर होना चाहिए। वह जीतने के बाद जनता की अनदेखी बिल्कुल न करे। वह एक सांसद नहीं बल्कि लोकसेवक के तौर पर काम करे और समाजसेवा के संकल्प को पूरा करे। वह जनता के प्रति जवाबदेह और क्षेत्र के विकास कराने की क्षमता को रखता हो।

राजू मंसूरी  ने कहा कि सांसद देश के कानून बनाते हैं, ऐसे में उनका पढ़ा-लिखा होना बहुत जरूरी है। लोगों को आमतौर पर उनसे शिकायत रहती है कि वे मिलते नहीं हैं। सांसद का जनता के करीब होना बहुत जरूरी है। वह किसी व्यक्ति विशेष को छोड़ दें तो ज्यादातर सांसद जीतने के बाद गांवों का रुख नहीं करते। ना ही वहां जाते हैं जबकि सांसद को लोगों से लगातार संवाद रखना चाहिए, क्योंकि ऐसा करके ही वह लोगों को दिल जीत सकता है। शिक्षक आशुतोष सिंह ने कहा कि हम 21वीं सदी में पहुंच चुके हैं अब परंपरागत तरीके नहीं चल सकते हैं। वक्त के हिसाब से बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब एक आम आदमी भी सांसद बन सकेगा। तब आदर्श स्थिति होगी। आज के दौर में यह काफी मुश्किल है।


वहींसमाजसेवी संजीव कुमार सिंह ने कहा कि मौजूदा स्थिति काफी खराब है, लोग आसानी से अपने सांसद से नहीं मिल पाते हैं। यही स्थिति दूसरे नेताओं के मिलने में सामने आती है। जनता अगर अपने प्रतिनिधि से आसानी से नहीं मिल सकती और अपनी बात नहीं रख सकती है तो फिर लोकतंत्र की गरिमा को धक्का लगता है। सांसद का पब्लिक कनेक्ट अच्छा होना चाहिए।सभी सांसद एक जैसे नहीं हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि सांसदों की अधिकतम उम्र तय होनी चाहिए। इसके साथ ही उनका युवाओं से जुड़ाव जरूर होना चाहिए, ताकि वे युवा उनसे अलग-थलग महसूस न करें।

सुधाकर तिवारी ने सवाल काे पलटते हुए कहा कि  सांसद कैसा हो? के साथ हमें यह देखना पड़ेगा कि वोटर कैसा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग जब तक जाति-धर्म-क्षेत्रवाद और दूसरी चकाचौंध से प्रभावित होकर वोट डालेंगे। तब तक स्थिति नहीं बदल सकती है। चुनाव में लोग इलाके के प्रमुख के कहने पर वोट डालते हैं। लोग जब तक अच्छे प्रत्याशी का चयन करना नहीं सीखें, तब तक जनप्रतिनिधि कैसे अच्छा हो सकता है? उन्होंने कहा कि लोग जब सजग नागरिक बनेंगे तभी बेहतर सांसद बनेंगे। लोग सांसद चुनने में गंभीरता नहीं दिखाते। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ नागरिक होंगे तो जनप्रतिनिधि भी बेहतर होंगे।

 वोटर अच्छे होंगे तो सांसद भी अच्छा ही होगा। मतदाता जागरूकता बहुत जरूरी है। उन्होंने अखण्ड भारत न्यूज़ संवाददाता पिन्टू सिंह  की अभियान तारीफ की। संविधान में सबकुछ लिखा है, लेकिन इसका लोगों को पता नहीं है क्योंकि शिक्षा प्रणाली में इस पर फोकस नहीं है। सांसद अपनी निधि नहीं खर्च कर पाते हैं, संसद में उनकी सक्रियता कम रहती है।स्व कल्पनाथ राय सासंद के बाद अब तक जो भी होता है सांसद क्षेत्र में दिखाई नहीं पड़ते। सांसद के पास अपने क्षेत्र के विकास का विजन, योजनाएं, अच्छा नेटवर्क जरूर होना चाहिए। अगर हमें देश काे सर्वाेपरि ले जाना है ताे हमें सर्वप्रथम उत्तम मतदाता बनना हाेगा ।

रिपोर्ट पिन्टू सिंह 

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