कृषि संवाद के माध्यम से दी धान की उन्नत खेती की जानकारी

कृषि संवाद के माध्यम से दी धान की उन्नत खेती की जानकारी



बलिया। बांसडीह रोड के निकट बलीपुर ग्राम में मंगलवार को धान की उन्नत खेती के विषय में जानकारी देने हेतु एक किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कृषि संवाद के माध्यम से शैक्षणिक, औद्योगिक एवं सेवा संस्थान की प्रबंधक एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रीति उपाध्याय ने धान की खेती करने वाले किसानों धान की खेती के दौरान आने वाली समस्यायों पर चर्चा की। किसानों ने बताया कि वे इस क्षेत्र में पहले धान उगाते थे, परंतु भूजल स्तर में निरंतर कमी, अनियमित बीज उपलब्धता, फसलों पर नित रोगों की आपदा ने हम किसानों को धान से अन्य फ़सलों की तरफ़ मोड़ा। पर्याप्त जल के अभाव, कीट एवं रोग प्रबंधन की कमी और सही समय पर समुचित सुझाव की पहुँच में कमी से आज बलीपुर गाँव के किसानों की यहस्थिति है कि वे धान की फ़सल उगाने में कतराते हैं। कृषक जगदम्बा चौबे और शम्भूनाथ पांडेय ने धान की कम पैदावार के पीछे झुलसा रोग, लेढ़ा रोग, उकठा रोग तथा तना बेधक कीट के प्रकोप को जिम्मेदार बताया। बलीपुर के किसान कृषि विभाग के टाल-मटोल वाले रवैए से भी ख़ासा असंतुष्ट है। मिसाल के तौर पर मृदा परीक्षण के बारे में बताते हुए कृषक बलिराम यादव ने कहा कि गाँव के खेतों से मिट्टी के नमूने लेने के लिए अभी तक कोई भी तकनीकी अधिकारी नहीं आया। साथ ही ब्लॉक स्तर पर बीज और दवाओं की कमी उन्हें प्राइवेट दुकानों की तरफ़ जाने को बाध्य करती है, और बाद में प्राइवेट दुकानदारों के सुझाव मानकर किसान अपने खेतों में दवाओं का छिड़काव करता है। बिना परीक्षण ऐसी दवाओं का प्रयोग आगे चल कर मनुष्य और पशुओं के स्वास्थ्य पर हानिकारक साबित होगा।

आज के किसान संवाद में कृषि कार्यों में सहभाग करने वाली महिलाओं ने भी भाग लिया। पवित्रि देवी, अपने गृहस्थी के कामों को निपटा कर खेतों में काम करती हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर धान में नर्सरी के पौधों के रोपण के अगले दिन ही उनमें कीटों का प्रकोप आ जाता है, जिससे कि अधिकतर पौधे मर जाते है। अन्य महिला किसान अजोरि देवी, गोदावरी देवी, ललिता देवी, श्यामा देवी ने खर-पतवार की समस्याओं के बारे में बताया।

डॉ. प्रीति ने उपरोक्त परेशानियों के नियंत्रण, उसके प्रबंधन के साथ ही इस परिचर्चा कार्यक्रम में कृषि के नवीन तकनीकों जैसे से आर्टिफ़िशल इंटेलीजेंस का उपयोग बताया। आर्टिफ़िशल इंटेलीजेंस तकनीक के माध्यम से किसानों को बुवाई- कटाई तथा अन्य सस्य क्रियाओं के समय, खेत में उर्वरक डालने की जानकारी, तथा अन्य आपदाओं जैसे कि आने वाले मौसम, कीट एवं रोग से निपटने की जानकारी सही समय पर मिल सकेगी। सही समय पर उचित जानकारी से किसानों को आने वाले मौसम के लिए पहले से ही तैयार किया जा सकता है और इसके प्रयोग से पैदावार में होने वाले नुक़सान को भी कम कर सकते है। साथ ही उन्होंने नयी पीढ़ी के युवाओं को कृषि कार्य में जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित किया क्यूँकि “किसान है तो देश में प्राण है”।

डॉ. प्रीति ने अपने संस्थान द्वारा आगामी 16 जून 2019 को बापू भवन, टाउन हॉल बलिया में होने वाले “धान की खेती के नवोन्मेषी तरीक़े” विषयक संगोष्ठी-सह-किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम की भी जानकारी दी और उन्हें प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि इस संगोष्ठी के माध्यम से संस्थान का यह प्रयास है, कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हो नवाचारों को फ़सल सुरक्षा और उत्पादकता को बढ़ाने में उपयोग में लाया जा सके। साथ ही यह भी कि जो नवीनतम शोधकार्य सरकारी संस्थानों में हो रहे हैं, उसे आम किसानों से जोड़ा जा सके। धान के शोध क्षेत्र में लगे ऊर्जावान और अनुभवी विशेषज्ञ जो कि अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के कृषि संस्थानो से जुड़े है, 16 जून की संगोष्ठी सम्मिलित होंगे। संस्थान का प्रयास है कि कृषि तथा सिंचाई विभाग के अधिकारियों को आमंत्रण द्वारा बुलाकर अन्नदाताओं की समस्याओं को सुलझाने में उनकी सहायता कर सके। इस कृषि संवाद तथा होने वाली संगोष्ठी से संस्थान का उद्देश्य “नवाचार, विज्ञान तक, पहुँचे आम किसान” है। जो आजकल के बदलते वातावरण में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में कारगर साबित होगा।

अंकित चौबे द्वारा आयोजित एवं संचालित इस किसान संवाद में राहुल मिश्रा, सुशांत पांडेय, हरीश पांडेय, अश्विनी चौबे सहित अनेकानेक किसान उपस्थित रहे।

By-Ajit Ojha

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