स्मृति शेष स्पेशल : यूपी-बिहार ही नहीं, नेपाल तक फैली हैं बादिलपुर वाले डॉ. महाबीर सिंह की ख्याति

स्मृति शेष स्पेशल : यूपी-बिहार ही नहीं, नेपाल तक फैली हैं बादिलपुर वाले डॉ. महाबीर सिंह की ख्याति

डॉ महाबीर सिंह... यह उस शख्सियत का नाम हैं, जिसकी ख्याति न सिर्फ बलिया, बल्कि आस-पास के जनपदों के अलावा बिहार और नेपाल तक फैली है। वजह साफ है इनकी दूरदर्शी सोच और अटल कृतियां, जिसकी खुश्बू आज भी अपनी छटा बिखेर रही है। जिला मुख्यालय से करीब 21 किलोमीटर दूर छोटे से गांव बाबूबेल (बादिलपुर) निवासी राम गोविंद सिंह एवं श्रीमती शिवराजो देवी के पुत्र के रूप में धरा पर कदम रखने वाले महाबीर सिंह, शुरू से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। 

गांव के प्राथमिक विद्यालय बादिलपुर से प्रारंभिक शिक्षा शुरू करने वाले महाबीर सिंह ने जूनियर हाई स्कूल बसरिकापुर से आठवीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वाराणसी स्थित उदय प्रताप इंटर कॉलेज में शिक्षा-दीक्षा प्राप्त करने के बाद आप चिकित्सकीय शिक्षा के लिए कोलकाता चले गये। चिकित्सा के क्षेत्र में पारंगत होकर आप डॉक्टर बनकर गांव लौटे और अपने निवास स्थान से ही क्षेत्रीय जनता को सेवाएं देना प्रारंभ कर दिए।

देखते ही देखते आपकी ख्याति तमाम रोग व्याधियों के अलावा पक्षाघात (लकवा) एवं क्षय रोग (टीबी) जैसी असाध्य रोग के स्पेशलिस्ट के रूप में चहुंओर अपना प्रकाशपुंज बिखेरने लगी। प्रतिष्ठित एवं सफल चिकित्सक के रूप में बलिया और आस-पास के जनपदों के अलावा बिहार एवं नेपाल तक के मरीज आपसे उपचार कराने पहुंचने लगे। चिकित्सा के अतिरिक्त आप शिक्षा एवं सामाजिक सेवा में भी ताउम्र सर्वदा अग्रणी रहे। 

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शिक्षा के प्रति आपकी अटूट प्रतिबद्धता की मिसाल बादिलपुर इंटर कॉलेज हैं, जिसकी स्थापना 1949 में आपने की। आपकी सोच थी गांव के बच्चे पढ़ कर आगे जाएंगे, तभी देश का विकास संभव है। आपकी इस बगियां में देश के भविष्य निरंतर पुष्पित और पल्लवित हो रहे हैं। विद्यालय द्वारा शिक्षित छात्र तमाम उपयोगी पद पर योगदान कर देश व राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं।

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वहीं, 1962 में आपने छितेश्वर नाथ मंदिर छितौनी के प्रांगण में सार्वजनिक जलाशय (पोखरा) का निर्माण कराया, जो आज भी आपकी उत्कृष्ट सोच बताने के लिए काफी है। यही नहीं, 1965 में श्री राम गोविंद सिंह पशु चिकित्सालय बाबूबेल तथा प्राथमिक विद्यालय बाबूबेल और पोस्ट ऑफिस के लिए आपने पर्याप्त भू-दान किया। इससे इतर आपने ताउम्र जनता एवं समाज की सेवा के लिए ज्ञात एवं अज्ञात रूप से अनेक कार्य किया हैं, जिनका उल्लेख करना संभव नहीं है।

पुत्र-पुत्रियों और पौत्रों की सोच
प्रेम, विद्या, उपकार, मित्रता... आपका उपकार हैं। हम नाम बढ़ाएं आपकी कृतियों का... यही हमारे संस्कार हैं। आपके पुत्र स्व. प्रोफेसर रमाशंकर सिंह, स्व. डॉ. सीताराम सिंह, पुत्र डॉ. अशोक कुमार सिंह एवं पुत्र इंजीनियर अरूण कुमार सिंह तथा पुत्रियां श्रीमती सीता सिंह, श्रीमती सावित्री शाही और श्रीमती जया बघेल है। आपकी बगिया की देखभाल पुत्रों और पौत्रों द्वारा न सिर्फ किया जा रहा है, बल्कि उसे दिन प्रतिदिन विस्तृत कर नया आयाम दिया जा रहा है। 

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