बलिया : रामायण का असर, 'राम सेना' की तर्ज पर युवाओं ने शुरू किया यह काम
On




बलिया। माउंटेन मैन से नवाजे गए बिहार के दशरथ मांझी के नाम से तो सभी परिचित होंगे... जी हां! वही माउंटेन मैन दशरथ मांझी, जिन्होंने खुद के दम पर पहाड़ियों को छेनी-हथौड़ा से काटकर सड़क बना दिया था। ऐसा ही कुछ जुनून और जज्बा गंगा पार नौरंगा गांव के ग्रामीणों में देखने को मिला।
विदित हो कि नौरंगा के ग्रामीणों को शासन-प्रशासन से सदैव निराशा ही मिली है। यहां के लोग 21वीं सदी में भी मूलभूत सुविधाओं (शिक्षा, चिकित्सा, सड़क व पुल इत्यादि से आज भी वंचित है। छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए भी इन्हें जिला मुख्यालय तक आना मानो सात समुंदर पार करने जैसा हो। अपनी निजी समस्याओं से तो ये जैसे-तैसे जूझ लेते है, लेकिन विगत दो साल से यह गांव भी कटान की जद में आ गया है।
सरकारी मशीनरी से इस क्षेत्र को मिल रही लगातार उपेक्षा से इनके उम्मीदों पर पानी फिर गया है। कटान रोकने के लिए इस क्षेत्र में कोई माकूल इंतजाम शायद ही हो, ये सोचकर ग्रामीणों ने खुद ही कमर कस लिया है। ग्रामीणों के अनुसार उनका विश्वास अब सरकारी महकमे से उठ गया है कि वो हमारे वजूद के लिए कभी कुछ कार्य भी करेंगे।
ऐसे में ग्रामीणों ने खुद ही ठान लिया है कि हमारा सामूहिक प्रयास नदी की धारा अवश्य ही मोड़ देगा। ग्रामीणों के जुनून का आलम यह है कि ये नित्य प्रतिदिन बोरियो में बालू भरकर नदी के आसपास डालते है। इन ग्रामीणों के मन में विश्वास है कि उनकी मेहनत और एकता से किया गया प्रयास अवश्य ही रंग लाएगा।
एक ग्रामीण का कहना है कि "जब राम काल में संसाधन विहीन राम सेना राम सेतु का निर्माण कर सकती है तो हम ग्रामीण फिर भी संसाधन पूर्ण है।' फिर हमारे पास और कोई विकल्प भी तो नही। इसलिए हम अपने बचाव का कार्य खुद ही कर रहे है।
रवीन्द्र तिवारी की ग्राउंड रिपोर्ट
Tags: बलिया


Related Posts
Post Comments
Latest News
13 May 2025 21:16:23
Ballia News : सीबीएसई 10वीं और 12वीं का परीक्षा परिणाम रिलीज होते ही मनःस्थली एजुकेशन सेंटर रेवती में खुशी की...
Comments