बलिया बलिदान दिवस : खुला जेल का फाटक... गूंजा वंदे मातरम्
On




बलिया। बुधवार की सुबह 09 बजते ही जिला जेल का फाटक खुला, 'भारत माता की जय’, 'वंदे मातरम' व 'चित्तू पांडे अमर रहें' इत्यादि नारों से जेल प्रांगण गूंज उठा। सेनानी, सेनानी आश्रितों, प्रशासन के आला अफसर व आम लोगों का हुजूम जेल कैंपस से बाहर निकलकर सेनानी प्रतिमाओं पर पुष्पार्चन किया। हालांकि देश में सबसे पहले आजाद होने वाले बलिया जनपद में कोरोना के चलते पहली बार बलिया बलिदान दिवस सादगीपूर्ण ढंग से मनाया गया।
बुधवार की सुबह सेनानी रामविचार पांडेय, चित्तू पांडेय के प्रपौत्र विनय पांडेय, DM श्रीहरि प्रताप शाही व SP देवेंद्र नाथ इत्यादि लोग जेल से बाहर निकले और शहीद राजकुमार बाघ की प्रतिमा पर माल्यार्पण किये। फिर वीर कुंवर सिंह, सेनानी रामदहिन ओझा, चित्तू पांडेय की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया। इसके साथ ही पूरे शहर में भ्रमण कर सेनानियों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया।
...और चित्तू पांडेय व महानन्द मिश्रा के हाथ में हो गई बलिया की सत्ता
19 अगस्त 1942 को देश में सबसे पहले बलिया आजाद हुआ था। करो या मरो के रूप में आजादी के लिए बलिया के क्रांतिकारियों अंग्रेजी हुकूमत की चूले हिला दी थी। ब्रितानियों के खिलाफ 09 अगस्त 1942 को शुरू क्रांति की इतनी धधकी कि अंग्रेजों की 19 अगस्त 1942 को तत्कालीन डीएम जे निगम ने जिला जेल में बंद क्रांतिकारियों को छोड़ने का फैसला लिया। जेल का फाटक खुला। चित्तू पांडेय व महानन्द मिश्रा इत्यादि सैकड़ों क्रांतिकारी बाहर निकले। चित्तू पांडेय व महानन्द मिश्रा ने बलिया का शासन अपने हाथ में ले लिया था।
Tags: Ballia News

Related Posts
Post Comments

Latest News
04 Dec 2025 13:18:17
बलिया : इंसानियत और मानवता की झलक अगर कहीं दिखती है, तो वह है बेसिक शिक्षा विभाग। जी हां !...





Comments