joshimath sinking | खूब पढ़ी जा रही है बलिया के पत्रकार द्वारा बनाई गई पहाड़ों पर पड़ती दरारों के दर्द की शब्द श्रृंखला
On




चलो बातें करते हैं पहाड़ों से,
टूटती सड़कों और घरों की दरारों से
रूठी हैं वादियां,
लोगों में आक्रोश है,
आखिरकार सिस्टम क्यों खामोश है?
पूछा जो पहाड़ों से तुम्हारा दर्द क्या है,
तकलीफ है तो तेरा मर्ज क्या है।
कहा पहाड़ों ने धरती मां से पूछो,
दर्द की सिलवटों में पड़ती दरारों से पूछो,
सिसकती आंखों से दिख रहा खुला आसमान है,
हूं पहाड़ तो क्या हुआ मुझमें भी जान है।
हथौड़े और बारूद का दर्द क्या होता है,
विकास की अंधी दौड़ में,
शक्ल सूरत बदल जाए तो क्या होता है,
बेटे को तकलीफ हो तो मां का दिल पिघल जाता है,
दर्द ज्यादा हो तो मां का कलेजा फट जाता है।
मुझे नहीं पता कि इंसान पहाड़ों की दरारों को देखकर परेशान है या अपनी इमारत की दरारों को देखकर हैरान है।
देवभूमि का द्वार हूं मै
जोशीमठ नाम है,
बेटा हूं मैं धरती मां परेशान है।
वक्त के साथ दरारें भर जाएंगी,
मेरे भी दरारों पर जांच आएगी,
चंद अफ़सरान पर आंच आएगी,
नए आसियानों के मरहम से तुम्हारा दर्द भी काफूर हो जाएगा,
क्या पहाड़ों के दर्द को कोई समझ पाएगा।
चलो बातें करते हैं पहाड़ों से
सच बताओ मेरे बच्चों,
टूटी सड़कों और घरों की दरारों से।
Tags: Ballia News

Related Posts
Post Comments

Latest News
25 Nov 2025 22:15:12
-परिवहन मंत्री ने किया शुभंकर एवं मोनोग्राम का अनावरण -पहली बार राष्ट्रीय विद्यालयी प्रतियोगिता की मेजबानी करेगा जनपद बलिया :...



Comments