वेतन से कटौती कर मृतक आश्रितों को 'राहत' देने की सलाह के खिलाफ बलिया के शिक्षक नेता ने उठाई आवाज

वेतन से कटौती कर मृतक आश्रितों को 'राहत' देने की सलाह के खिलाफ बलिया के शिक्षक नेता ने उठाई आवाज


बलिया। चुनाव ड्यूटी के कारण अब तक दिवंगत हुए लगभग 2000 शिक्षक/कर्मियों को सरकार एक-एक करोड़ का मुआवजा दें, अन्यथा बेसिक शिक्षकों/कर्मियों का सरकार के पास जमा लगभग 4000+76 करोड़ वापस करें। शिक्षक अलग फण्ड बनाकर  खुद ही अपने दिवंगत शिक्षक/कर्मियों की मदद कर लेंगे। यह कहना है विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ घनश्याम चौबे का। एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मांग की कि निर्वाचन ड्यूटी के कारण दिवंगत शिक्षक-कर्मियों के आश्रितों को उच्च न्यायालय की मंशानुसार तत्काल एक-एक करोड़ की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाय। 

जिलाध्यक्ष डॉ. घनश्याम चौबे ने कहा कि कोरोना महामारी के भयंकर प्रकोप के मध्य अपनी जान जोखिम में डालकर बेसिक शिक्षकों ने पंचायत निर्वाचन कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न कराया। प्रशिक्षण से लेकर मतगणना तक कहीं भी कोविड प्रोटोकाल का पालन नहीं किया। परिणाम स्वरूप प्रशिक्षण, सामग्री लेते/जमा करते समय, मतदान, मतगणना के दौरान संकमित हुए शिक्षकों को अनुग्रह राशि देने के मुद्दे पर सरकार अपने ही वादे से पीछे हट गयी है, जबकि उच्च न्यायालय ने भी एक करोड़ अनुग्रह राशि की संस्तुति दी थी। दिवंगत शिक्षक-कर्मियों का सम्मान तक नहीं किया गया। इससे शिक्षक जगत में आक्रोश उत्पन्न हो गया है। कहा कि शिक्षकों का मानना है सरकार हमसे सारे कार्य ले रही, यहां तक कि हम अर्जित अवकाश के बदले मिलने वाले ग्रीष्मावकाश में भी ड्यूटी कर रहे हैं। महानिदेशक शिक्षकों के लिए आदेश जारी करने लगे हैं। महामारी में ड्यूटी लगने के बावजूद उन्हें कोई संशाधन नहीं दिये जाते और न ही कोरोना वैरियर्स का दर्जा दिया जाता। यही नहीं, कोई हादसा होता है तो उन्हें कोई मुवावजा तक नहीं दिया जाता, जबकि महामारी में सबसे अधिक योगदान बेसिक शिक्षकों का है।

कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक/कर्मियों ने अपने वेतन से पिछले वर्ष इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए 76 करोड़ की सहयोग राशि राज्य सरकार को उपलब्ध करायी थी। महामारी के कारण बेसिक शिक्षको/कर्मियों का जनवरी 2020 से जून 2021 तक कुल 11 प्रतिशत महंगाई भत्ता, लगभग 4000 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने फीज कर दिया है। इसमें प्रत्येक शिक्षक ने औसतन रु. 70,000/- का योगदान दिया है। इसके बावजूद सरकार अनुग्रह राशि देने से पीछे हट रही है। यदि यही रवैया रहा तो एसोसिएशन या सभी संगठन मिलकर आन्दोलन करने को बाध्य होंगे। हलाकि कतिपय शिक्षक संगठनों ने अपने वेतन की कटौती करके फौरी राहत देने का जो बीच का रास्ता बताया है, उससे एसोसिएशन सहमत नहीं है। यह गलत परिपाटी होगी। हां कोई संगठन अपने स्तर सहयोग करना चाहता है तो चन्दा लेकर करे, इसमें कोई आपत्ति नहीं है। 

पत्र में अनुरोध किया गया है कि हमारे शिक्षक एक नहीं, दो दिन का भी वेतन देने को तैयार हैं और तमाम शिक्षक समूह ऐसा कर भी रहे हैं, लेकिन उससे पहले सरकार चुनाव के कारण समस्त शहीद बेसिक शिक्षक/कर्मियों (अबतक 2000 से अधिक बेसिक शिक्षक/कर्मी) के आश्रितों को अनुग्रह राशि तत्काल नहीं दे पा रही है तो बेसिक शिक्षको/कर्मियों द्वारा सरकार को प्रदत्त 4000 करोड़ +76 करोड़ वापस करे उससे आकस्मिक बेसिक शिक्षक कोष बनाया जाय और प्रभावित बेसिक शिक्षकों/कर्मियों के आश्रितों को एक-एक करोड़ का भुगतान करने के पश्चात अवशेष धनराशि इसी से भविष्य में कोरोना या आकस्मिक मृत्यु पर हर बेसिक शिक्षक को एक करोड़ की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जायेगा। सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती है। कहा कि विशिष्ट बीटीसी एसोसिएशन द्वारा इन मांगों को 18 मई 2021 प्रेषित पत्र में भी रखा गया था। 

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