बीएसए ने चार प्रधानाध्यापकों को किया बर्खास्त, 20 पर लटकी तलवार

बीएसए ने चार प्रधानाध्यापकों को किया बर्खास्त, 20 पर लटकी तलवार


गोरखपुर। कूटरचित दस्तावेजों के सहारे परिषदीय विद्यालयों में तैनात चार शिक्षकों की सेवा बीएसए ने समाप्त कर दी है। चारों फर्जी शिक्षक मौजूदा समय में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत थे। मामले की जांच एसटीएफ कर रही थी। एसटीएफ की रिपोर्ट के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग ने अब तक 65 आरोपियों को बर्खास्त किया है। वहीं, शिकायतों के आधार पर 20 शिक्षकों को निलंबित कर जांच चल रही है।
बेसिक शिक्षा विभाग की आंखों में धूल झोंककर प्राथमिक विद्यालय चिल्लूपार में 24 वर्षों से कार्यरत प्रधानाध्यापक राम सहाय यादव के विरुद्ध शिकायत को लेकर एसटीएफ ने विभाग से उसका शैक्षिक अभिलेख तलब किया। प्रधानाध्यापक द्वारा ऐसा नहीं करने पर उसे निलंबित कर दिया गया। शिकायत को देखते हुए इसकी जांच खंड शिक्षाधिकारी बड़हलगंज सुरेंद्र यादव को सौंपी गई। आरोपी शिक्षक ने सीपीएड, 1988 का अंकपत्र लगाकर वर्ष 1996 में सहायक अध्यापक पर नियुक्ति प्राप्त की थी। जांच में अंकपत्र कूटरचित मिला था। ऐसे ही सरदारनगर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय महुअवां बुजुर्ग के प्रधानाध्यापक सुरेश कुमार के शैक्षिक अभिलेखों को एसटीएफ ने तलब किया था। एसटीएफ की शिकायत पर बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षक को निलंबित कर दिया। जांच में खंड शिक्षा अधिकारी की ओर से आरोपी शिक्षक के हाईस्कूल और इंटर के अंकपत्र को सत्यापन के लिए भेजा गया तो वो कूटरचित मिला। वहीं, विशिष्ट बीटीसी चयन, 2004 के गुणांक व शैक्षिक अभिलेखों के गुणांक में अंतर मिलने पर ब्रह्मपुर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय नदुआ ज्ञानपार के प्रधानाध्यापक गामा प्रसाद को बर्खास्त कर दिया गया। इनके विरुद्ध फर्जी अंकपत्र के सहारे नौकरी करने की शिकायत एसटीएफ से हुई थी। फर्जीवाड़े को लेकर ब्रह्मपुर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय जंगल रसूलपुर नंबर दो के प्रधानाध्यापक रामजीत यादव को बर्खास्त किया गया है। इनके विरुद्ध फर्जी अंकपत्र के सहारे नौकरी की शिकायत एसटीएफ को मिली थी। इस पर बेसिक शिक्षा विभाग ने शिकायत की जांच शुरू की। आरोपी शिक्षक के स्नातक के अंकपत्र को सत्यापन के लिए गोरखपुर विश्वविद्यालय भेजा गया। विश्वविद्यालय ने सत्यापन रिपोर्ट में इस अनुक्रमांक पर किसी अन्य का नाम अंकित होने की जानकारी दी। आरोपी शिक्षक नेे तीन बार भेजे गए नोटिस का जवाब नहीं दिया। जांच रिपोर्ट पर विभाग ने उसे बर्खास्त कर दिया।

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