उठने लगे भाजपा में बगावती सुर, निवर्तमान सांसद ने लिखा खुला पत्र
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बलिया । भारतीय जनता पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता व बलिया लोकसभा क्षेत्र के निवर्तमान सांसद ने पार्टी आलाकमान द्वारा टिकट काटने के विरोध में बुधवार को जनता के नाम खुला पत्र लिखा है। उनकी यह कारवाई पार्टी में विरोध की चिंगारी को उजागर कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ पार्टी के कार्यकर्ता बगावती तेवर अख्तियार किये हुए है। जो आने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के लिए गले की हड्डी साबित होगा। इससे इत्तर सांसद भरद सिंह के समर्थकों ने बुधवार को पार्टी कार्यालय पर भरत सिंह का टिकट काटे जाने के विरोध में धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान सांसद के समर्थक हाथों मे तख्तियां लिये थे,जिन पर हाईकमान से निर्णय बदलने सम्बंधी नारे लिखे थे।
बहरहाल, जनता को लिखे खुले पत्र में निवर्तमान सांसद भरत सिंह ने उल्लेख किया है कि बलिया लोकसभा क्षेत्र से टिकट काटे जाने से मैं अत्यंत क्षुब्ध और आहत हूं। मैंने बचपन से लेकर आज तक बलिया के लिए जीता आया हूँ। संघ के स्वयंसेवक जीवन से सामाजिक जीवन की शुरूआत की। महामना की भूमि बीएचयू की छात्र राजनीति से संघर्ष की शुरूआत की। आपातकाल के वर्ष 4 मार्च 1975 को बीएचयू छात्रसंघ का महामंत्री चुना गया। मीसा में 19 महीने जेल में रहा। जेल से रिहाई के बाद बीएचयू के छात्रों ने मुझे छात्रसंघ अध्यक्ष चुना। विद्यार्थी परिषद और बाद में भारतीय जनता पार्टी को मैंने पूर्वांचल में मजबूती दी। बीएचयू का संघ भवन ढहा देने वाले उस वक्त के कुलपति कालूलाल श्री माली समेत सभी अन्यायी शक्तियों का मैंने पुरजोर विरोध कर उन्हें पूर्वांचल की जमीन से हटाने का काम किया। मुझे तीन बार बलिया जिले से विधायक निर्वाचित होने का गौरव मिला तथा यूपी सरकार में मैं मंत्री रहा। मेरी छवि हमेशा जनता के बीच रहने वाले, जनता के लिए जूझने वाले ईमानदार नेता के रूप में रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश की जनता के हितों के लिए संघर्ष ही मेरा जीवन है। बलिया मेरी सांस सांस में है। उन्होंने जिक्र किया है कि मैं राजनीति में चांदी या सोने का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुआ, साधारण किसान परिवार मेें पैदा होकर मैंने बलिया से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। बलिया मेरा है और मैं बलिया का हूँ, मेरे बलिया से इस रिश्ते को दुनिया की कोई ताकत न छीन सकी है, न छीन सकेगी। मैं बलिया की जनता के राजनीतिक हितों का चौकीदार हूँ। और पूरी वफादारी से बलिया के हक की लड़ाई लड़ता रहूँगा और किसी गलत आदमी को बलिया से चुनकर संसद की सीढ़ी नहीं पहुँचने दूँगा। मैं भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व द्वारा बलिया से मुझे दोबारा प्रत्याशी न बनाए जाने से अत्यंत आहत हूँ कि आखिर मेरा अपराध क्या है, मेरा गुनाह क्या है जो कि मुझे पार्टी के टिकट से वंचित कर दिया गया। मैं सांसद बनने के बाद से हमेशा बलिया के लोगों के बीच रहा। बलिया के हितों की आवाज संसद से सड़क तक उठाई। अनुशासन में रहकर गंगा की कटान, खेती योग्य जमीन को हो रहे नुकसान, गंगा सेतु, जेपी के गांव और आस-पास के इलाके के विकास का सवाल, बलिया में मेडिकल कॉलेज के निर्माण का सवाल, भूमिगत जल में आर्सेनिक और शुद्ध पीने के पानी की आपूर्ति का सवाल, सड़कों का सवाल, गाँव-गाँव बुनियादी सुविधाओं के विकास का सवाल, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को बलिया तक ले जाने का सवाल समेत मजदूरों, किसानों, युवाओं, महिलाओं समेत जनता से जुड़े सवालों को मैं लगातार सड़क से संसद तक उठाता रहा। आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने इसी कारण से बलिया के विकास पर विशेष ध्यान दिया। मेरे आग्रह पर अत्यंत सफल उज्जवला योजना बलिया से उन्होंने शुरू की। इन सब बातों के होते हुए भी मेरा टिकट काट दिया गया और ऐसे प्रत्याशी को बलिया की जनता पर थोप दिया गया जिसका कोई जुड़ाव बलिया से आज तक नहीं हुआ। जो 2007 के बलिया लोकसभा उपचुनाव में जमानत तक नहीं बचा सका। केवल 20-22 हजार वोट भी जिसे मिल सके, उसे पार्टी ने जाने क्यों प्रत्याशी बना दिया। समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर इनके कारनामें हमेशा चर्चित रहे। कभी किसी वरिष्ठ पार्टी नेता को भरी सभा में पीट देने, कभी अवैध खनन के काम में चर्चित होने, यहां तक कि जिनकी गाड़ियां तक गुस्साई जनता ने जलाई, जो अपने लोकसभा क्षेत्र की जनता को कभी संतुष्ट तक नहीं कर पाए, केवल विवाद ही विवाद करते रहे और जिन्हें ये पता था कि वह अपने लोकसभा से जीत नहीं सकते तो उन्होंने साजिश कर मुझे बलिया से हटाकर स्वयं लड़ने के लिए ताना-बाना बुना। बलिया मेें कुछ लोग लैंड शॉर्क माने जाते हैं, जो केवल किसानों, गरीबों की जमीन, सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध वसूली और धन उगाते हैं, उन्हीं में इनका नाम भी लोग लेते हैं। सैकड़ों एकड़ जमीन अवैध रूप से कब्जा कर उसके फसलों की जबरन कटान और वसूली तक ही जिनका संबंध बलिया से रहता है, ऐसे लोग ही आज बलिया की राजनीति को कब्जे में लेने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने मेरा टिकट कटवाने के लिए षडयंत्र रचकर लखनऊ से दिल्ली तक मेरे स्वास्थ्य को लेकर गलत बाते उड़ाई। जबकि मैं पूरी तरह स्वस्थ होकर सदा ही जनता के बीच जनता के काम को करने के लिए सक्रिय रहता आया हूँ। बलिया की जनता के मध्य और सांसद तक ही अपनी भूमिका रखने के कारण उत्तर प्रदेश के कतिपय नेताओं को मेरी लोकप्रियता नागवार लगती रही। उन्होंने केंन्द्रीय नेतृत्व को मेरे बारे में गलत सूचनाएं दी। मेरा प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी एवं पार्टी अध्यक्ष अमित शाह जी पर पूर्ण विश्वास है कि वह मेरे दर्द को समझेेंगे। मैं सदा ही पार्टी हित में काम करता रहा हूँ और करता रहूँगा।
By-Ajit Ojha
Tags: बलिया


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