Vat Savitri Vrat 2023 : वैवाहिक जीवन में मधुरता और अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन ऐसे करें पूजा, जानें पूजन विधि तथा शुभ मुर्हूत
Vat Savitri Vrat 2023 : हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास के अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस दिन बरगद के वृक्ष की विधिवत पूजा की जाती है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी, इसलिए इस तिथि को हर साल वट सावित्री व्रत रखते हैं। मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से व्रती महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
ज्योतिर्विद आचार्य आदित्य पराशर ने बताया कि पुराणों के अनुसार, वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों देवताओं का वास है। इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। अतः वट वृक्ष को ज्ञान, निर्वाण व दीर्घायु का पूरक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, जो सुहागन स्त्री वट सावित्री व्रत करती है और बरगद के वृक्ष की पूजा करती है, उसे अखंड सौभाग्य का फल मिलता है। उसके सभी कष्ट दूर होते हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं वट सावित्री का व्रत रखने से पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है। वैवाहिक जीवन में मधुरता भी आती है। कहते हैं कि वट वृक्ष में कई रोगों को नाश करने की क्षमता होती है। इसलिए इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं को काले कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
वट सावित्री व्रत पूजन की सरल विधि
1. वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठें।
2. स्नान आदि करने के बाद नए वस्त्र धारण करें। सोलह श्रृंगार करें।
3. बरगद की पेड़ की जड़ को जल अर्पित करें। गुड़, चना, फल, अक्षत और फूल अर्पित करें।
4. वट सावित्री व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
5. वट वृक्ष के चारों ओर लाल या पीला धागा बांधकर वृक्ष की परिक्रमा करें। परिक्रमा के समय पति की लंबी आयु की कामना करें। इसके बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
6. वट सावित्री व्रत के दिन दान करना अति लाभकारी माना गया है। इस दिन सुहाग का सामान, मिट्टी का घड़ा, पंखा, अन्न, फल दान करना शुभ माना गया है।
ज्योतिर्विद आचार्य पंडित आदित्य पराशर
अमृतपाली, बलिया, उ.प्र.।
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