सदा के लिए थम गई वह आवाज, जिसके दम पर कभी महफूज महसूस करते थे शिक्षक-कर्मचारी

सदा के लिए थम गई वह आवाज, जिसके दम पर कभी महफूज महसूस करते थे शिक्षक-कर्मचारी


बलिया। एक समय था जब श्रीमती इंद्रा हृदेश जी उत्तर प्रदेश विधान परिषद या सड़क पर अपनी बात कहती थी तो तत्कालीन सरकारों के कान खड़े हो जाते थे। तब उत्तराखण्ड भी उत्तर प्रदेश में ही हुआ करता था। बलिया नगर विधानसभा के नेता सुशील पाण्डेय 'कान्हजी' ने कहा कि प्रदेश के शिक्षक-कर्मचारी उस जोरदार आवाज़ के दम पर अपने को महफूज महसूस करते थे। प्रदेश का बंटवारा हुआ। इंद्रा हृदेश जी उत्तराखण्ड चली गई, लेकिन आज वह आवाज़ भी हमेशा के लिए थम गई। 

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