बलिया : बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल विवाह की रोकथाम को नव भारतीय नारी विकास समिति की अनोखी पहल




बलिया : बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्यरत संगठन नव भारतीय नारी विकास समिति बहेरी ने बाल विवाहों की रोकथाम के लिए धर्मगुरुओं के बीच जागरूकता अभियान चलाया। संगठन के सचिव अजहर अली ने कहा कि धर्मगुरुओं से मिला सहयोग व समर्थन अभिभूत करने वाला है। इस अक्षय तृतीया में एक भी बाल विवाह जिले में नहीं होगा।
बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश में नागरिक समाज संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के बलिया में सहयोगी संगठन नव भारतीय नारी विकास समिति की ओर से अक्षय तृतीया और शादी-ब्याह के मौसम को देखते हुए बाल विवाहों की रोकथाम के लिए विभिन्न धर्मों के विवाह संपन्न कराने वाले परोहितों के बीच चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को व्यापक सफलता मिली है।
सभी धर्मगुरुओं ने इसकी सराहना करते हुए सहयोग का हाथ बढ़ाया है। कहा कि यह देखते हुए कि कोई भी बाल विवाह किसी पंडित, मौलवी या पादरी जैसे पुरोहित के बिना संपन्न नहीं हो सकता, हमने उन्हें बाल विवाह के खिलाफ अभियान से जोड़ने का फैसला किया। इसके सकारात्मक नतीजों को देखते हुए हम उम्मीद कर सकते हैं। इस अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होने पाएगा। जिले में तमाम मंदिरों-मस्जिदों के आगे ऐसे बोर्ड लगे हुए जिन पर स्पष्ट लिखा है कि यहां बाल विवाह की अनुमति नहीं है।
गौरतलब है कि जेआरसी 2030 तक देश से बाल विवाह खत्म करने के मकसद से 'चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया' कैम्पेन चला रहा है। नव भारतीय नारी विकास समिति के सचिव अजहर अली ने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जरूरी जागरूकता की कमी है। ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम पीसीएमए 2006 के तहत दंडनीय अपराध है इसमें किसी भी रूप से शामिल होने या सेवाएं देने पर 2 साल की सजा एवं जुर्माना हो सकता है। जल्द ही बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का लक्ष्य को नव भारतीय नारी विकास समिति हासिल कर लेगी।


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