डीएम की अनोखी पहल : वेब एप्लीकेशन Nirakaran Ballia विकसित, जानें इसकी खासियत

डीएम की अनोखी पहल : वेब एप्लीकेशन Nirakaran Ballia विकसित, जानें इसकी खासियत

बलिया : जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह के मार्गदर्शन में  जनपद में सुशासन और पारदर्शिता को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। जिला सूचना विज्ञान केन्द्र (NIC Ballia) ने अभिनव प्रयास कर जनशिकायत निवारण वेब एप्लीकेशन Nirakaran Ballia को विकसित किया है। यह एप्लीकेशन, जिले में प्राप्त होने वाली जन शिकायतों के प्रभावी निस्तारण, उनके रिकॉर्ड प्रबंधन और निगरानी के लिए एक सशक्त माध्यम के रूप में कार्य करेगा।

इस वेब एप्लीकेशन की सहायता से जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी (CDO), उपजिलाधिकारी (SDM), जिला विकास अधिकारी (DDO), खंड विकास अधिकारी (BDO) आदि के समक्ष प्रस्तुत होने वाली सभी शिकायतों को डिजिटल रूप से पोर्टल पर दर्ज किया जा सकेगा। इसमें शिकायतकर्ता का पूरा विवरण, संपर्क सूचना और उसकी ओर से प्रस्तुत शिकायत पत्र की स्कैन कॉपी को सुरक्षित रूप से अपलोड किया जाएगा। 

यह एप्लीकेशन सुशासन (Good Governance) के मूल सिद्धांत पारदर्शिता, जवाबदेही और सहभागिता को बल देता है। आने वाले समय में इस एप्लीकेशन को मोबाइल ऐप के रूप में भी विकसित करने की योजना है, जिससे आम नागरिक कहीं से भी अपनी शिकायत दर्ज कर सकें और उसकी स्थिति का अनुसरण कर सकें।

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शिकायत नंबर और ट्रैकिंग सिस्टम की विशेषता
शिकायत दर्ज होने के उपरांत, सिस्टम द्वारा स्वतः एक यूनिक शिकायत संख्या (Complaint ID) उत्पन्न की जाती है। यह नंबर एक गुलाबी पर्ची (Pink Slip) पर अंकित कर शिकायतकर्ता को दिया जाता है। यह पर्ची ही शिकायत की आधिकारिक पहचान बन जाती है, जिससे शिकायतकर्ता आगे शिकायत की स्थिति (Status) की जानकारी प्राप्त कर सकता है। यह नवाचार शिकायतकर्ता को पारदर्शी और भरोसेमंद अनुभव प्रदान करता है तथा डुप्लीकेट शिकायतें दर्ज होने की समस्या को भी कम करता है।

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10 दिन की सीमा और डिफॉल्टर ट्रैकिंग प्रणाली
इस एप्लीकेशन की एक और महत्त्वपूर्ण विशेषता, यह है कि प्रत्येक दर्ज शिकायत को अधिकतम 10 दिनों में निस्तारित करना अनिवार्य किया गया है। यदि किसी शिकायत का समाधान निर्धारित समयावधि में नहीं होता, तो वह आवेदन "डिफॉल्टर" श्रेणी में दर्ज हो जाता है। इससे संबंधित विभाग की जवाबदेही सुनिश्चित होती है और समय पर शिकायतों के निस्तारण की दिशा में दबाव बनता है।

विभागवार मार्किंग और विश्लेषणात्मक रिपोर्टिंग
शिकायत दर्ज होते ही, उसे संबंधित विभाग को डिजिटल माध्यम से मार्क किया जाता है। यह "विभागवार मार्किंग" प्रणाली न केवल शिकायत के त्वरित समाधान में मदद करती है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि किस विभाग के विरुद्ध कितनी शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। यह आंकड़ा रिपोर्ट के रूप में उपलब्ध होता है, जिससे जिला प्रशासन को यह आकलन करने में सुविधा होती है कि कौन-से विभाग में लापरवाही हो रही है और उस पर किस प्रकार की कार्यवाही आवश्यक है। इस विश्लेषणात्मक डैशबोर्ड के माध्यम से यह भी जाना जा सकता है कि किस प्रकार की शिकायतें सबसे अधिक प्राप्त हो रही हैं-जैसे कि बिजली, जल आपूर्ति, राशन, पेंशन, सड़क, स्वास्थ्य सेवाएं आदि। इससे प्रशासन को नीति निर्धारण और संसाधन आवंटन में भी सहायता मिलती है।

डुप्लिसिटी रोकथाम एवं पारदर्शिता में वृद्धि
अक्सर एक ही शिकायतकर्ता द्वारा कई बार अलग-अलग मंचों पर एक ही शिकायत दर्ज कर दी जाती है, जिससे संसाधनों की अनावश्यक बर्बादी होती है और विभागों पर अनावश्यक दबाव बनता है। अब, चूंकि प्रत्येक शिकायत एक यूनिक नंबर से पंजीकृत होगी और गुलाबी पर्ची के रूप में साक्ष्य शिकायतकर्ता के पास उपलब्ध होगा, इसलिए यदि वही व्यक्ति पुनः शिकायत लेकर आता है, तो सिस्टम द्वारा उसका पिछला स्टेटस बताया जा सकता है। इससे डुप्लिसिटी पर प्रभावी रोक लगेगी और शिकायतों का ईमानदारी से निस्तारण सुनिश्चित होगा।

प्रभावशीलता और नवाचार की दिशा में कदम
यह वेब एप्लीकेशन जिलाधिकारी बलिया श्री मंगला प्रसाद सिंह के कुशल नेतृत्व और तकनीकी नवाचार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह एप न केवल शिकायत निवारण की प्रक्रिया को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाता है, बल्कि प्रशासनिक निगरानी को भी प्रभावी बनाता है। इससे जिला स्तरीय अधिकारियों को किसी भी समय यह जानकारी मिल सकती है कि कौन-सी शिकायत कहां लंबित है और किस अधिकारी के पास है।

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