एक स्कूल ऐसा भी, तीन बच्चों को पढ़ा रहे तीन अध्यापक

एक स्कूल ऐसा भी, तीन बच्चों को पढ़ा रहे तीन अध्यापक

UP News : शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात क्रमशः 30:1 (30 बच्चों पर एक शिक्षक) और 35:1 तय है, लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा के कई विद्यालयों में बच्चे कम और शिक्षक अधिक तैनात हैं। चंबल किनारे बीहड़ में बसे मड़ैया बढपुरा के विद्यालय में ही पढ़ने वाले बच्चे तीन हैं, इनको पढ़ाने के लिए दो शिक्षक और एक शिक्षामित्र तैनात हैं। एक बच्चा दिव्यांग होने से नियमित विद्यालय नहीं आ पाता, अक्सर दो बच्चे ही आते हैं।

जिला मुख्यालय से करीब 21 किमी दूर बसे बढ़पुरा ब्लाक के मड़ैया बहपुरा गांव में करीब 30 वर्षों से प्राथमिक विद्यालय संचालित है। उदी-बाह (आगरा) मुख्य मार्ग से तीन किमी अंदर बीहड़ में निर्जन, ऊबड़-खाबड़ कच्चे रास्ते से गांव पहुंचना होता है। एक समय गांव में 38 परिवार थे। तब छात्र संख्या 40 से अधिक थी। खेती बाड़ी की देखभाल के लिए अब गांव में सिर्फ आठ परिवार ही रह गए हैं, बाकी परिवार वर्ष 2021 और 2022 में चंबल नदी में आई बाढ़ के बाद पलायन कर गए।

विद्यालय में अगस्त 2014 से कार्यरत शिक्षामित्र वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि उनकी तैनाती के वक्त छात्र संख्या 28 थी। नवंबर 2020 से तैनात सहायक अध्यापक विपिन कुमार बताते हैं कि वह दुरुह रास्ते से गुजरते हुए गाहे-बगाहे जंगली जानवर तथा सांप दिखने के बाद भी विद्यालय नियमित पहुंचते हैं, मगर यहां पढ़ाने के लिए पांच-दस बच्चे भी हों तो मन लगे, एक या दो बच्चे से भला कितनी बात करेंगे। विद्यालय में शैक्षिक सत्र 2023-24 में छह बच्चे थे। इनमें से तीन कक्षा पांच पास होकर और एक परिवार के पलायन करने से स्कूल छोड़ गया। इंचार्ज प्रधानाध्यापक विक्रांत यादव व्यथा व्यक्त करते हुए कहते कि बच्चों की कम संख्या पर विभाग नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगता है। अब गांव में बच्चे ही नहीं हैं तो कहां से लाएं।

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अंधेर और भी हैं

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प्राथमिक विद्यालय नगला बैरी में एक बच्चे को दो अध्यापक, नगला गंगादीन में दो बच्चों को दो अध्यापक, राघवपुर में तीन बच्चों को एक प्रधानाध्यापक, एक अध्यापक, एक शिक्षामित्र, मड़ैया बढ़पुरा में तीन बच्चों को एक इंचार्ज प्रधानाध्यापक, एक अध्यापक व एक शिक्षामित्र पढ़ाते हैं। जिले के 1484 में ये विद्यालय बानगी भर हैं। ऐसे 37 प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें बच्चों की संख्या इकाई में है। मसलन चकरनगर ब्लाक के प्रतापपुरा में आठ बच्चों पर चार अध्यापक और एक शिक्षामित्र तैनाती है। कंपोजिट विद्यालय बिरौना बाग में 37 बच्चों पर सात अध्यापकों की तैनाती है। बसरेहर ब्लाक के लाहौरी में चार बच्चों पर एक अध्यापक व एक शिक्षामित्र, नीवरी में चार बच्चों पर दो अध्यापक, एक शिक्षामित्र है। उच्च प्राथमिक विद्यालय मकसूदपुरा में 60 बच्चों को अकेले इंचार्ज प्रधानाध्यापक मंजू निरंजन पढ़ाती हैं। 26 उच्च प्राथमिक विद्यालय और चार प्राथमिक विद्यालय एकल हैं और वहां बच्चे अनुपात मानक से अधिक हैं।

शिक्षकों के समायोजन-स्थानांतरण की प्रक्रिया लंबित है। हम बगल के विद्यालय में भी शिक्षक का समायोजन या स्थानांतरण नहीं कर सकते। ऐसी विसंगति को दूर करने के लिए शासन का निर्देश और बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव का मार्गदर्शन आवश्यक है।
डा. राजेश कुमार, बीएसए

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