बलिया में लोकरंग उत्सव की पहली शाम : गीत और नृत्य में दिखी विलुप्त हो रही भारतीय साझा संस्कृति

बलिया में लोकरंग उत्सव की पहली शाम : गीत और नृत्य में दिखी विलुप्त हो रही भारतीय साझा संस्कृति

Ballia News : लोकरंग उत्सव के पहले दिन लोक कलाकारों ने मंच पर लोक भाषा व लोक संस्कृति को जीवंत कर दिया। विलुप्त हो रही लोक कलाओं के विविध रंगों से सरोबार हुए बलिया के कला प्रेमी। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से संकल्प साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया द्वारा आयोजित लोकरंग उत्सव के पहले दिन गंगा बहुउद्देशीय सभागार के मंच से बलिया के कला प्रेमियों को एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देखने को मिली।

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कार्यक्रम की शुरुआत ग्रामीण महिलाओं द्वारा संस्कार गीतों के गायन से हुआ। अपने ठेठ गंवई अंदाज में शिवपुर दतिवढ़ की गुलज़ारी देवी, तेतरी, शुभावती, बेबी, संगीता व ललिता ने परम्परागत 'निमिया के डांढ़ मईया...' और होली गीत से अतीत की याद ताजा कर दी। उसके बाद अभियान थिएटर ग्रुप गोरखपुर द्वारा मंत्रमुग्ध कर देने वाला फरुवाही नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि पुरुष वर्ग का माने जाने वाले इस नृत्य में महिलाओं ने अपने सधे हुए नृत्य कौशल से सबको चकित कर दिया।

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फरूवाही के बाद कृष्ण कुमार यादव मिट्ठू ने अपने लोक गीत और विजय प्रकाश पाण्डेय ने अपने ग़ज़ल गायिकी से शमां बांधा। भगवान तिवारी द्वारा लवकुश खण्ड काव्य गाथा बेजोड़ रहा। कार्यक्रम में भोला गोंड़, शिवनाथ, नगेन्द्र, झूलन , राजदेव, सूरज, बालकिशुन, बृजेश ने हुरुका वादन और गोड़ऊ नृत्य से ऐसा शमां बांधा कि हाल में बैठे सभी लोग झूम उठे।  

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कार्यक्रम की अंतिम कड़ी में आकर्षण का केंद्र रहा फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी पंचलाइट। वरिष्ठ रंगकर्मी नारायण पाण्डेय द्वारा निर्देशित अभियान थिएटर ग्रुप गोरखपुर द्वारा प्रस्तुत पंचलाइट ने दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी। गोधन और मुनरी की प्रेम कहानी के माध्यम से नाटक के माध्यम से कलाकारों ने संदेश दिया कि जाति और धर्म से ऊपर किसी का स्थान है तो वह है प्रेम का। नाटक में श्रेयश तिवारी गोधन और कनक कुमारी मुनरी की भूमिका में शानदार रही। 

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इसके अलावा सृष्टि जायसवाल, आदर्श मिश्रा, सुमित वर्मा, कलश कुमारी, प्रिया सिंह, पूर्णिमा शर्मा इत्यादि ने अपने शानदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। नाटक का संगीत और नृत्य संयोजन भी शानदार रहा। कार्यक्रम स्थल पर संकल्प के रंगकर्मियों द्वारा ट्विंकल गुप्ता और रितेश पासवान के निर्देशन में लगी लोक कला प्रदर्शनी आकर्षण के केंद्र में रही।

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ग्रामीण परिवेश से जुड़ी झोपड़ी, चारपाई, ओखली, जांता, डोली इत्यादि के साथ दर्शकों ने खूब सेल्फी ली। बच्चों में इसके प्रति विशेष उत्सुकता रही। एक्सप्रेशन कल्चरल सोसायटी बलिया, राष्ट्रनायक चन्द्रशेखर मैराथन समिति, और सुभाष चन्द्र सेवा संस्थान का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में गणेश पाठक, उपेंद्र सिंह, डॉक्टर इफ्तेखार खान, शालिनी श्रीवास्तव, डॉक्टर कदंबिनी सिंह, वंदना गुप्ता, पंडित ब्रजकिशोर त्रिवेदी, शक्ति सिंह, डा. विश्वरंजन सिंह, डा. भवतोष पाण्डेय, अशोक पत्रकार, डा. राजेन्द्र भारती, मोहन जी श्रीवास्तव, संजय इत्यादि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। सभी कलाकारों को अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संयोजन आनन्द कुमार चौहान और संचालन उमेश सिंह ने किया। संकल्प के सचिव रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने सबके प्रति आभार प्रकट किया।

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