बलिया में NEET रैंकर के सम्मान में 15 किलोमीटर तक बरसे फूल, नीट एस्पिरंट्स को धीरज ने दिया सफलता का मंत्र




बलिया : नीट रैंकर बेटे का न सिर्फ गांव, बल्कि हर चाहने वालो ने उत्साह, उमंग और जोश से स्वागत किया। बलिया रेलवे स्टेशन से पैतृक गांव भदवरिया टोला हल्दी (करीब 15 किलोमीटर) तक धीरज कुमार यादव पर फूलों की बारिश हुई। स्वागत और सम्मान से अभिभूत धीरज कम शब्दों में बहुत बड़ी बातें कही। धीरज ने कहा कि मुझे डॉक्टर बनना है। लोगों का जीवन बचाने से बड़ा कुछ नहीं है। वहीं, सभी माता-पिता से आग्रह किया कि बेटा हो या बेटी, सबको सम्मान शिक्षा दे, वे भी उनकी आशाओं को पूरा करेंगे।
बता दें कि धीरज हल्दी (भदवरिया टोला) निवासी स्वर्गीय बब्बन यादव के पौत्र तथा जौनपुर जिले के मड़ियांव थाने पर तैनात उपनिरीक्षक सुदर्शन यादव के पुत्र है। 10वीं तथा 12वीं में बेहतर अंकों से सफलता हासिल करने वाले धीरज ने नीट की तैयारी कोटा से की। अपने लक्ष्य के प्रति सचेत धीरज ने न सिर्फ नीट प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त किया, बल्कि ऑल इंडिया 110वीं तथा ओबीसी कैटे 45वीं रैंक प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवाया। धीरज का सपना एक कुशल कार्डियोलॉजिस्ट बनकर देश तथा समाजसेवा करना है। धीरज की सफलता पर धीरज के गांव में जश्न का माहौल है।
वाराणसी से अपने पिता के साथ गांव पहुंचे धीरज को ग्रामीणों व शुभचिंतकों ने सिर आंखों बैठाया। बलिया रेलवे स्टेशन पर सनबीम स्कूल बलिया के डायरेक्टर डॉ. कुंवर अरुण कुमार सिंह 'गामा सिंह' के नेतृत्व में विद्यालय परिवार के अलावा शिक्षक अनिल सिंह, मनीष सिंह, डॉ दिनेश ठाकुर, हिमांशु उपाध्याय इत्यादि ने स्वागत किया। वहां से खुली जीप पर सवार धीरज गांव के लिए निकला, जिसे लोगों ने फूल बरसाकर स्वागत किया।
करीब 15 किलोमीटर का सफर तय फर धीरज हल्दी ढाले पर पहुंचा, जहां प्रधान प्रतिनिधि धनंजय कुंवर, पूर्व प्रधान शिवजी यादव व ब्रम्हदेव यादव समेत सैकड़ों लोगों ने अपने लाडले को भरपूर प्यार और दुलार दिया। बातचीत में धीरज ने बताया कि उसकी हार्दिक इच्छा है कि वह एक अच्छा डॉक्टर बनकर समाज एवं राष्ट्रहित में कार्य करें। डॉक्टर बनने के उनके इस निर्णय को पिता ने सदैव प्रोत्साहित किया, जो धीरज के लिए एक आधारभूत आदर्श सहारा रहा। धीरज बताते है कि कोटा से जुड़ने के बाद एहसास हुआ कि असली कॉम्पिटिशन क्या होता है? एग्जाम प्रेशर क्या होता है? देश के अलग-अलग कोने से आये हुए बच्चों के साथ कंपटीशन और स्वयं को आकलित करने का एक मौका मिला। धीरज ने बताया कि मैंने समय प्रबंधन, टाइम टेबल के अनुसार विषयगत स्ट्रेटजी और प्रैक्टिस सेट को विशेष प्राथमिकता बनाया।
मैंने सोशल मीडिया से बहुत दूरी बनायी। पढ़ाई घंटों के हिसाब से न करते हुए विषयगत आवश्यकता पर विशेष ध्यान दिया। मैने कभी भी बैकलॉग नहीं लगने दिया और सदैव अपने टीचर के निर्देशों का अनुपालन करने का प्रयास किया। विषयगत समस्या महसूस होने पर अपने टीचर से पूछा और ऑनलाइन माध्यमों का सहारा लिया। मेरे लिए मेरी फैमिली ही सबसे बड़ी प्रेरणा स्रोत रही है, जहां सभी सरकारी नौकरी में बड़े बड़े ओहदों पर कार्यरत है। मेरा परिवार शिक्षा, साहित्य एवं सांस्कृतिक महत्वता की सदैव ही प्राथमिकता दिया है, जिन्हें देखकर मैं पला बढ़ा हूं।
इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए कक्षा 10वीं में ही मैंने यह निर्णय ले लिया था कि मुझे डॉक्टर बनना है। हालांकि मैंने तैयारी 11वीं के बाद प्रारम्भ की। मुझे यह दृढ निश्चय था कि अपने मेडिकल फील्ड में सर्वोच्च शिखर तक जाना है, इसके लिए मेरे पास कठिन परिश्रम ही एक मात्र सहारा था। धैर्य के साथ अपने लक्ष्य पर फोकस बनाए रखा और अपने इस सपने के साथ आज मेरा नीट ऑल इंडिया रैंक 110 तथा ओबीसी केटेगरी रैंक 45 है। मैं यह रैंक अपेक्षाकृत और अच्छा कर सकता था, परंतु फिजिक्स का पेपर कुछ ज्यादा ही कठिन एवं एग्जाम टाइम में फैमिली फंक्शन में सम्मिलित होने का दबाव ज्यादा था, जिसकी वजह से रैंक डाउन हुए।
हालांकि मैं पारिवारिक समारोहों में सम्मिलित नही हुआ, फिर भी दबाव का असर रहा। मैं आगे भी संघर्ष का सफऱ निरंतर जारी रखने का प्रयास करूंगा। नीट में सबसे अहम भूमिका बड़े भाइया देव कुमार यादव की रही, जो दिल्ली में अध्यपाक है। अन्य बड़े भाइयों एवं परिवार वालों का सपोर्ट ज्यादा रहा है। मै अपनी इस सफलता का श्रेय मां श्रीमती कलावती देवी, पिता सुदर्शन यादव, गुरुजन और परिवार को देना चाहूंगा, जिन्होंने मुझे हर परिस्थितियों में सपोर्ट किये।
एक सवाल के जबाब में धीरज ने कहा कि नीट एस्पिरंट्स से मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि जैसा मैंने किया, आप भी करें। कभी भी नर्वस न हो। समय प्रबंधन के साथ ही टाइम टेबल के अनुसार विषयगत स्ट्रेटजी एवं प्रैक्टिस पर विशेष ध्यान दें। सोशल मीडिया से दूरी बनाये रखें। यदि कोई भी दिक्कत आए तो अपने टीचर या अपने परिवार से बात करे। धैर्य के साथ अपने लक्ष्य पर फ़ोकस बनाये रखें। सफ़लता जरूर मिलेगी। यदि कभी किसी टेस्ट में नंबर कम आये, तब भी सदैव घबरायें नहीं। उन कमियों को तलाशे, वही सफलता का मंत्र बनेगी।


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