बलिया में रौद्र रूप धारण कर रही गंगा, कई गांव बने टापू ; काली मंदिर विलीन
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बलिया। उफनाई गंगा की लहरे तबाही मचानी शुरू कर दी है। रविवार को तड़के नदी की लहरों ने केहरपुर में स्थित काली मंदिर व विशाल पेड़ को अपने पेटे में समेट ली। वहीं, अनिल ओझा, संतोष ओझा, अवधेश ओझा, सुशील ओझा व बिरजू ओझा की मकान का अवशेष भी नदी में विलीन हो गया। नदी की तल्खी से सुघर छपरा व अवशेष केहरपुर गांव में अफरा तफरी का माहौल है। लोग अपना सामान लेकर पलायन करने को मजबूर है। उधर, दूबेछपरा, गोपालपुर व उदईछपरा गांव में सबसे खौफनाक मंजर दिख रहा है। डूब क्षेत्र के न सिर्फ स्कूल कालेज बंद कर दिये गये है, बल्कि अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा को परीक्षा केन्द्र परिवर्तित करना पड़ा है।
गायघाट गेज पर नदी का जलस्तर रविवार की सुबह आठ बजे 59.21 मीटर रिकार्ड किया गया, जो खतरा विन्दु से करीब डेढ़ मीटर ऊपर है। वहीं, नदी में बढ़ाव जारी है। बाढ़ का पानी गांव में घुसने की वजह से पीड़ितों को अपने सामानों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। केहरपुर व सुघर छपरा के लोगों का आरोप है कि हम सभी ने अपनी समस्याओं को लेकर जनप्रतिनिधियों से लगायत उच्चाधिकारियों तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन किसी ने भी हमारी पीड़ा को न सुना न समझा। आज तक इन गांवों को बचाने के लिए शासन स्तर से कोई प्रोजेक्ट पारित नहीं किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2019 में काली मंदिर के बगल में ही स्वामी हरेराम ब्रह्मचारी जी महाराज का स्मृति स्थल गंगा की लहरों में समा गया था। बावजूद इसके जिम्मेदार इस भयावह दिन का इंतजार करते रहे।
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