UP POLITICS : ब्राह्मणों की आराधना में जुटे राजनीतिक दल, यह है इसकी बड़ी वजह

UP POLITICS : ब्राह्मणों की आराधना में जुटे राजनीतिक दल, यह है इसकी बड़ी वजह


एके पाठक
बलिया। प्रदेश में विधानसभा का घमासान अभी शुरू तो नहीं हुआ है, पर राजनीतिक विसात पर वोट बैंक के पियादों को बिछाने का सिलसिला प्रारम्भ हो चुका है। विस चुनाव जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है, जातीय समीकरण साधने के प्रयास भी तेज होते जा रहे हैं। तात्कालिक परिस्थितियों पर नजर डालें तो स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि इस चुनाव में सारे मुद्दे एक तरफ और ब्राह्मण लुभाओ अभियान दूसरी तरफ है। यह हाल किसी एक दल का नहीं है, सत्ता की धुरी बने ब्राह्मणों को सभी दल साधने में जुटे हैं।आश्चर्य तो यह है कि कभी ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद को गाली देने वाले भी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि ब्राह्मण भाजपा का कोर वोटर माना जाता है, लिहाजा सभी दल ब्राह्मणों को भाजपा से अलग करने की रणनीति पर काम कर रहे है, ताकि चुनावी घमासान आसान हो सकें। 
कांग्रेस की ओर से इसकी जिम्मेदारी खुद प्रियंका गांधी सम्भाल रही हैं तो सपा प्रबुद्ध सम्मेलन के जरिये चुनावी वैतरणी पार करने की फिराक में है। ब्राह्मण उत्पीड़न का मुद्दा बनाकर सपा लगातार भाजपा सरकार को घेर रही है। वहीं जिस बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद के विरोध में हुई थी, वह एक बार फिर प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन के जरिये ब्राह्मण पूज कर वनवास खत्म करना चाहती है। उधर, भाजपा भी प्रबुद्ध सम्मेलनों के जरिए पिछले पांच वर्षों की करतूत छुपा कर रूठों को मनाने का प्रयास कर रही है। बहरहाल ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन प्रदेश की राजनीति जातिगत दलदल में धंसती नजर आ रही है। 

इसलिए महत्वपूर्ण है ब्राह्मण वोटबैंक
ब्राह्मण समाज को प्रबुद्ध तबका माना जाता है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ब्राह्मण जिधर भी जाता है, वह अपने साथ वोटबैंक का एक बड़ा हिस्सा लेकर जाता है, जिसमें अन्य विरादरी के लोग भी शामिल होते हैं। इसके अलावा ब्राह्मण मतदाता मुखर होकर किसी भी दल के लिए माहौल बनाने का काम भी करते हैं।

2017 में रामलहर, 2022 में परशुराम लहर 
प्रदेश में इन दिनों एक नया नारा गूंज रहा है। यह नारा है '2017 में रामलहर, 2022 में परशुराम लहर'। शायद यही वजह है कि ब्राह्मण मत इस बार अपनी अहमियत दिखाने के लिए संगठित भी हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर इन दिनों यह अभियान अपने शबाब पर है। 

जब-जब छोड़ा साथ, भाजपा का हुआ बड़ा नुकसान
पिछले विस चुनावों के बाद हुए सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक 2017 में 80 फीसदी ब्राह्मणों ने भाजपा को वोट दिया। इससे पहले 2014 के आम चुनाव में 72 फीसद और 2019 में 82 प्रतिशत ब्राह्मणों के वोट भाजपा को मिले थे। 2007 में जब बसपा ने ब्राह्मण मतदाताओं के बूते सरकार बनाई थी। तब भी भाजपा को 40 फीसद ब्राह्मणों के वोट मिले थे। वर्ष 2012 में मुलायम सिंह यादव के राज्य की राजनीति में शिखर पर होने के वक्त भी 38 फीसद ब्राह्मणों ने भाजपा को वोट दिया था।

Post Comments

Comments

Latest News

योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई : एसडीएम सस्पेंड, 11 दिन पहले गिरफ्तार हुआ था पेशकार योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई : एसडीएम सस्पेंड, 11 दिन पहले गिरफ्तार हुआ था पेशकार
सुलतानपुर : उप जिलाधिकारी जयसिंहपुर संतोष कुमार ओझा को शासन ने निलंबित कर दिया है। दो दिसंबर को उनके न्यायालय...
Model Paper 2025 : यूपी बोर्ड ने जारी किये 10वीं-12वीं के मॉडल प्रश्नपत्र, यहां देखें
हाईकोर्ट ने बीएसए के खिलाफ जारी किया वारंट
बलिया के इस युवा कवि को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान करेगा पुरस्कृत
बलिया में शानदार रहा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का आउटरीच कार्यक्रम, व्यापारियों को मिला महत्वपूर्ण मार्गदर्शन
14 December Ka Rashifal : आज कैसा रहेगा अपना शनिवार, पढ़ें दैनिक राशिफल
बलिया, छपरा इत्यादि स्टेशनों से चलने वाली इन ट्रेनों में बढ़े सामान्य द्वितीय श्रेणी के कोच